वाराणसी
सोमवार से शुरू हो रहे सावन माह के मद्देनजर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को दी जाने वाली सभी सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्थाओं के संबंध में यहां वाराणसी मंडल के आयुक्त कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में बैठक हुई.
बैठक में अपर पुलिस आयुक्त एसएस चिन्नप्पा, डीसीपी सुरक्षा सूर्यकांत त्रिपाठी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी काशी विश्वनाथ मंदिर विश्व भूषण, एडीएम प्रोटोकॉल प्रकाश चंद्र, एडीसीपी ममता, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी, संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त और पीएसी के अन्य अधिकारी तथा ट्रस्ट के सभी संबंधित अधिकारी और ड्यूटी पर तैनात मजिस्ट्रेट मौजूद रहे.
बैठक में आयुक्त ने सभी विभागों को आपस में समन्वय स्थापित कर मंदिर में श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई जाने वाली सभी मूलभूत सुविधाओं जैसे मंदिर में पेयजल की उपलब्धता, चिकित्सा प्रबंधन, भीड़ प्रबंधन, सम्पूर्ण मंदिर की साफ-सफाई आदि का व्यापक स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.
मंदिर में सुरक्षा के मद्देनजर सभी विद्युत उपकरणों एवं सीसीटीवी के सुचारू संचालन से संबंधित व्यवस्थाएं पूर्ण करने के भी निर्देश दिए. मंदिर के बाहर गलियों में लटक रहे विद्युत तारों को बांधने के निर्देश दिए.
इस वर्ष सावन माह में सुरक्षा एवं सुविधा के लिए पहली बार कई नवाचार किए जा रहे हैं. काशीवासियों के लिए प्रातः 4 से 5 बजे तक दर्शन एवं गेट 4बी (काशी द्वार) से प्रातः 4 से 5 बजे तक झांकी दर्शन की सुविधा सावन सोमवार एवं पर्व विशेष दिवसों को छोड़कर प्रतिदिन उपलब्ध रहेगी.
यह द्वार सावन सोमवार एवं अन्य पर्व विशेष दिवसों को छोड़कर सामान्य दिवसों में नियमित दर्शनार्थियों सहित सभी काशीवासियों के लिए उपलब्ध रहेगा. इस द्वार से प्रवेश के लिए काशी के पंजीकृत पते वाला आधार कार्ड, मतदाता परिचय पत्र, ईपीआईसी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि परिचय पत्र के आधार पर प्रवेश मान्य होगा.
अत: किसी भुगतान आधारित प्रवेश पास की आवश्यकता नहीं होगी.इस वर्ष पहली बार दर्शन के लिए गेट संख्या 4 से पहले मैदागिन की ओर प्रवेश के लिए गेट 4ए (सिलको गली होते हुए) बनाया गया है.
पहली बार विशेष परिस्थितियों में सरस्वती गेट प्रवेश द्वार पर भीड़ का दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त भीड़ को सरस्वती पार्क स्थित रैंप पर बैठाने की व्यवस्था की गई है.इस प्रवेश मार्ग पर जिग-जैग व्यवस्था के साथ ही गर्मी से बचाने के लिए छाया की भी व्यवस्था की गई है.
ऐसे सभी स्थानों पर जहां जर्मन हैंगर लगाना संभव नहीं है, वहां शामियाने की व्यवस्था कर पहली बार छाया सुनिश्चित की गई है.