नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिका में रह रहे आरोपी अमित वाधवा के प्रत्यर्पण (एक्सट्राडिशन) की प्रक्रिया में तेजी लाने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा है कि लंबे समय से लंबित आपराधिक मामले का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और यथासंभव एक वर्ष के भीतर सुनवाई पूरी की जाए।
यह निर्देश न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने शिकायतकर्ता शीनम रहेजा द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिए। शीनम रहेजा पिछले एक दशक से अधिक समय से इस मामले को आगे बढ़ा रही हैं। याचिका में अमेरिका में रह रहे आरोपी को भारत लाने के लिए तत्काल कदम उठाने और आपराधिक मुकदमे के शीघ्र निपटारे की मांग की गई थी।
यह मामला वर्ष 2009 में दर्ज एक एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू), दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया था। आरोप है कि आरोपी ने धोखाधड़ी और साजिश के तहत शिकायतकर्ता के बैंक खाते से करीब 1.26 करोड़ रुपये की राशि निकाली।
हाईकोर्ट में शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता विवेक गुप्ता ने दलील दी कि जांच कई वर्ष पहले पूरी हो चुकी थी, इसके बावजूद आरोपी की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि इस देरी से शिकायतकर्ता को गंभीर नुकसान और मानसिक पीड़ा हुई है।
इससे पहले ट्रायल कोर्ट में शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता रवि ड्रॉल ने बताया था कि आरोपी शिकायतकर्ता का पति है और उसी तथ्यों के आधार पर उसके खिलाफ अवमानना, वैवाहिक विवाद और धोखाधड़ी से जुड़े कई मामले लंबित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार अनुरोध के बावजूद ईओडब्ल्यू ने आरोपी को अमेरिका से वापस लाने के लिए ठोस कार्रवाई नहीं की।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता जगदीश चंद्रा ने कोर्ट को बताया कि प्रत्यर्पण का अनुरोध अमेरिकी न्याय विभाग समेत संबंधित एजेंसियों के समक्ष उठाया गया है और आखिरी बार मई 2025 में इस पर कार्रवाई हुई थी।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि आरोपी को पहले ही उद्घोषित अपराधी घोषित किया जा चुका है और वह कार्यवाहियों से पूरी तरह अवगत है, क्योंकि उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अवमानना कार्यवाही में भी हिस्सा लिया था। कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2016 से लंबित इस मामले में अब और देरी स्वीकार्य नहीं है और केंद्र को व्यावहारिक व त्वरित कदम उठाने होंगे।






.png)