लद्दाख में भीषण झड़प के बाद कर्फ्यू, 50 लोगों को हिरासत में लिया गया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 25-09-2025
Curfew imposed in Ladakh after fierce clashes, 50 people detained
Curfew imposed in Ladakh after fierce clashes, 50 people detained

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
हिंसा प्रभावित लेह में बृहस्पतिवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा कर्फ्यू का सख्ती से पालन कराए जाने के दौरान कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया.
 
लेह में एक दिन पहले व्यापक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
 
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को यहां जारी आंदोलन हिंसक हो गया था और इस दौरान सड़कों पर आगजनी और झड़पें हुई.
 
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त कर दी थी.
 
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था क्योंकि 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
 
अन्य प्रमुख शहरों में भी पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिनमें कारगिल भी शामिल है, जहां भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे वांगचुक के समर्थन में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) द्वारा बंद का आह्वान किया गया था.
 
प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और कई वाहनों को आग लगा दी थी, साथ ही ‘हिल काउंसिल’ मुख्यालय में तोड़फोड़ की थी, जिसके कारण शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया था.
 
एक पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है.
उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल होने के आरोप में रातभर में लगभग 50 लोगों को हिरासत में लिया गया.
 
अधिकारी ने बताया कि घायलों में तीन नेपाल के नागरिक हैं और पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या हिंसा के पीछे विदेशी हाथ हैं.
 
एलएबी और केडीए पिछले चार वर्षों से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.
 
केंद्र सरकार के साथ उनकी कई दौर की बातचीत हो चुकी है। अगले दौर की बातचीत छह अक्टूबर को होनी है.
 
अधिकारियों ने बताया कि कारगिल, जांस्कर, नुब्रा, पदम, चांगतांग, द्रास और लामायुरु में दंगा रोधी उपकरणों से लैस पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई है.
 
कारगिल के जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने पूरे जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी की, जिसके तहत सक्षम प्राधिकारी की पूर्व लिखित अनुमति के बिना पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने, जुलूस निकालने या प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
 
केंद्र ने बुधवार को आरोप लगाया था कि लद्दाख में कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के ‘‘भड़काऊ बयानों’’ की वजह से हिंसा भड़की और ‘‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’’ कुछ लोग सरकार और लद्दाखी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में हुई प्रगति से खुश नहीं हैं।
 
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि सरकार पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा उपाय प्रदान करके लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 
उपराज्यपाल कविन्द्र गुप्ता ने घटनाओं को हृदय विदारक बताते हुए कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन जो कुछ हुआ वह स्वतःस्फूर्त नहीं था, बल्कि एक साजिश का नतीजा था।
 
गुप्ता ने कहा, ‘‘अधिक जनहानि रोकने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर कर्फ्यू लगाया गया है।’’
 
वांगचुक ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि प्रदर्शनकारियों में से दो, 72 वर्षीय एक पुरुष और 62 वर्षीय एक महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था और कहा कि संभवतः यह हिंसक विरोध का तात्कालिक कारण था।
 
स्थिति तेजी से बिगड़ने पर उन्होंने शांति की अपील की और घोषणा की कि वे अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं।
 
वांगचुक ने आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र अपने समर्थकों से कहा था, ‘‘मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है तथा स्थिति और बिगड़ती है। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते।’’
 
उन्होंने कहा था, ‘‘यह लद्दाख और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे दुखद दिन है क्योंकि पिछले पांच वर्षों से हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वह शांतिपूर्ण था... हमने पांच मौकों पर भूख हड़ताल की और लेह से दिल्ली तक पैदल चले लेकिन आज हम हिंसा और आगजनी की घटनाओं के कारण शांति के अपने संदेश को विफल होते हुए देख रहे हैं।’’