"नए संसद भवन के उद्घाटन पर गाय को भी अंदर ले जाना चाहिए था": शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 04-08-2025
"Cow should have also been taken inside during the inauguration of the new Parliament building": Shankaracharya Avimukteshwarananda

 

मुंबई

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान उसमें एक जीवित गाय को भी प्रवेश दिलाना चाहिए था।

उन्होंने रविवार को पत्रकारों से कहा,"अगर संसद में गाय की मूर्ति जा सकती है, तो एक जीवित गाय क्यों नहीं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस सेंगोल को लेकर संसद भवन में प्रवेश किया, उस पर गाय की आकृति खुदी हुई है।"

उन्होंने आगे कहा कि एक वास्तविक गाय को भी संसद भवन में प्रवेश देकर उसका आशीर्वाद लिया जाना चाहिए था।"अगर अब तक ऐसा नहीं हुआ, तो हम देशभर से गायें लाकर संसद में ले जाएंगे, ताकि प्रधानमंत्री और संसद भवन को असली गाय का आशीर्वाद मिल सके।"

गो-सम्मान प्रोटोकॉल की मांग

शंकराचार्य ने महाराष्ट्र सरकार से गाय के सम्मान को लेकर एक स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाने की भी मांग की।
उन्होंने कहा,"अब तक यह तय नहीं हुआ कि गाय का सम्मान कैसे किया जाए। सरकार को एक निश्चित प्रक्रिया तय करनी चाहिए, ताकि लोग उसका पालन कर सकें। साथ ही, उल्लंघन पर दंड भी निर्धारित होना चाहिए।"

हर विधानसभा क्षेत्र में बनें "रामधाम"

उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि देश के हर विधानसभा क्षेत्र में ‘रामधाम’ नाम से एक गौशाला बनाई जानी चाहिए, जिसमें कम से कम 100 गायें रहें।"देशभर में कुल 4,123 रामधाम बनाए जाएंगे, जहां रोज़ाना गायों की सेवा, सुरक्षा और देसी नस्लों को बढ़ावा देने का कार्य होगा।"

जो व्यक्ति इस प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गायों की देखभाल करेगा, उसे आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा।"100 गायों की सेवा करने वाले को प्रति माह ₹2 लाख दिए जाएंगे।"

गाय को "राष्ट्रीय माता" घोषित करने की मांग

उन्होंने बताया कि धर्म संसद ने होशंगाबाद से सांसद दर्शन सिंह चौधरी के उस प्रस्ताव का स्वागत किया है, जिसमें गाय को ‘राष्ट्रीय माता’ (राष्ट्रमाता) घोषित करने की मांग की गई है।

उन्होंने कहा,"लोगों को केवल उन्हीं जनप्रतिनिधियों का समर्थन करना चाहिए जो गौ-रक्षा में विश्वास रखते हैं और इस पर कानून बनाने के लिए काम करते हैं।"

"वर्तमान सरकार ने अब तक हमें संतुष्ट नहीं किया है। भारत में गौहत्या को पूरी तरह बंद किया जाना चाहिए।"

भाषाई विवाद पर राय

भाषा से जुड़े विवाद पर शंकराचार्य ने कहा:"हिंदी को पहले प्रशासनिक उपयोग के लिए मान्यता मिली थी। महाराष्ट्र को 1960 में भाषाई आधार पर बनाया गया और उसके बाद मराठी को मान्यता मिली। हिंदी और मराठी, दोनों कई उपभाषाओं से बनी हैं।"

मालेगांव ब्लास्ट केस पर टिप्पणी

उन्होंने मालेगांव विस्फोट मामले में न्याय की मांग करते हुए कहा कि वास्तविक दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए।"यह हास्यास्पद है कि एक ओर सरकार अमृत काल मना रही है, और दूसरी ओर गायों का वध किया जा रहा है जो हमें दूध देती हैं। जो सरकार में हैं और गाय की रक्षा नहीं करते, उन्हें हम अपना भाई नहीं मान सकते।"

शंकराचार्य ने अंत में कहा कि हिंसा चाहे किसी के भी द्वारा हो, वह अपराध है और उसे उसी रूप में लिया जाना चाहिए।