Country needs global-class banks; talks ongoing with RBI, financial institutions: Sitharaman
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश को बड़े और वैश्विक स्तर के बैंकों की जरूरत है और इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और बैंकों के साथ बातचीत जारी है।
सीतारमण ने 12वें ‘एसबीआई बैंकिंग एंड इकॉनमिक्स’ सम्मेलन-2025 को संबोधित करते हुए वित्तीय संस्थानों से उद्योग जगत के लिए कर्ज प्रवाह को बढ़ाने और व्यापक बनाने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती से मांग बढ़ेगी और इससे कुल मिलाकर निवेश बढ़ेगा।
उन्होंने सलाह दी कि वित्त तक पहुंच अत्यंत महत्वपूर्ण है और एक प्रणाली-संचालित, पारदर्शी ऋण प्रक्रिया आवश्यक है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘देश को कई बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की जरूरत है...। सरकार इस पर विचार कर रही है और काम शुरू हो चुका है। हम आरबीआई और बैंकों के साथ इस पर चर्चा कर रहे है।’’
सीतारमण ने कहा कि सरकार के इस पर कोई निर्णय लेने से पहले, बहुत सारा काम किया जाना बाकी है। इसमें आरबीआई से इस बारे में सुझाव लेना भी शामिल है कि वे बड़े बैंक कैसे बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मौजूदा बैंकों से सृजित करके... सिर्फ एकीकरण द्वारा नहीं हो सकता... यह एक रास्ता हो सकता है, लेकिन आपको एक ऐसा परिवेश और माहौल की जरूरत है जिसमें ज्यादा बैंक काम कर सकें और आगे बढ़ सकें। भारत में यह परिवेश वास्तव में अच्छी तरह से स्थापित है...।’’
सरकार ने बड़े बैंक बनाने के प्रयास में, पहले भी दो दौर का एकीकरण किया है। बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़े एकीकरण के तहत सरकार ने अगस्त, 2019 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चार बड़े विलय की घोषणा की थी। इससे उनकी कुल संख्या घटकर 12 हो गई, जो 2017 में 27 थी।
एक अप्रैल, 2020 से, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया। सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में जबकि इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय किया गया। इसके अलावा आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ डिया में विलय किया गया।