बांग्लादेश, म्यांमार के साथ कनेक्टिविटी से बड़ा बदलाव आएगा : जयशंकर

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 28-05-2022
बांग्लादेश, म्यांमार के साथ कनेक्टिविटी से बड़ा बदलाव आएगा : जयशंकर
बांग्लादेश, म्यांमार के साथ कनेक्टिविटी से बड़ा बदलाव आएगा : जयशंकर

 

गुवाहाटी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत म्यांमार के माध्यम से सड़क संपर्क और बांग्लादेश के माध्यम से समुद्री संपर्क पर विचार कर रहा है और इससे क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.

गुवाहाटी में 'नाडी (नदी) कॉन्क्लेव 2022' को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच छह पुराने सीमा पार रेल लिंक को बहाल करने की आवश्यकता है. भारत और बांग्लादेश के बीच 10 जलमार्ग प्रोटोकॉल मार्ग हैं. भारत और बांग्लादेश के बीच नौ नए 'बॉर्डर हाट' (बाजार) स्थापित किए जा रहे हैं. डॉ जयशंकर ने कहा, "हम नेपाल और भूटान के साथ कनेक्टिविटी में सुधार कर रहे हैं." यह कहते हुए कि म्यांमार के माध्यम से भूमि संपर्क और बांग्लादेश के माध्यम से समुद्री संपर्क वियतनाम और फिलीपींस के साथ आसान कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करेगा. 

उन्होंने कहा, "आगामी कनेक्टिविटी न केवल आसियान देशों और जापान के साथ मजबूत साझेदारी का निर्माण करेगी, बल्कि वास्तव में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क में फर्क करेगी. यह भौगोलिक अड़चन को दूर करने और इतिहास को फिर से लिखने की हमारी क्षमता के भीतर है." विदेश मंत्री ने कहा कि आसियान देशों और उससे आगे तक पहुंच में सुधार के लिए बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ संपर्क बढ़ाकर इस दृष्टिकोण को उत्पादक रूप से साकार किया जा सकता है.

बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. अब्दुल मोमेन और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी शिलांग स्थित थिंग टैंक और शोध समूह 'एशियन कॉन्फ्लुएंस' द्वारा आयोजित 'नाडी कॉन्वलेव-2022' में शामिल हुए.  असम के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर कहा, "अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, असम आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है. राज्य में वन्यजीव पर्यटन, चाय पर्यटन और नदी पर्यटन सहित पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. हमारी सरकार इस दिशा में आवश्यक कदम उठा रही है."

सरमा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "असम सहित पूर्वोत्तर भारत न केवल भारत और आसियान क्षेत्र के बीच एकमात्र भूमि लिंक प्रदान करता है, बल्कि एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत पुल के रूप में भी कार्य करता है. हम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण को साझा करते हैं कि पूर्वोत्तर भारतीय अर्थव्यवस्था का सूर्योदय क्षेत्र है.