छत्तीसगढ़ में स्कूलों के पास आवारा पशुओं पर सख़्त नज़र

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 22-11-2025
Chhattisgarh keeps a strict vigil on stray animals near schools
Chhattisgarh keeps a strict vigil on stray animals near schools

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने स्कूल परिसरों के आसपास आवारा कुत्तों और मवेशियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। राज्य के शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव के अनुसार विभाग ने शुक्रवार को आधिकारिक आदेश जारी किया, जिसके तहत प्रत्येक विद्यालय के आसपास आवारा पशुओं की नियमित निगरानी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि छात्रों की सुरक्षा और विद्यालयी वातावरण की स्वच्छता बनी रहे।

मंत्री यादव ने बताया कि यह कदम एक हालिया घटना के बाद और आवश्यक हो गया, जिसमें बारोडा बाज़ार जिले के एक स्कूल में मिड-डे मील बनने के दौरान एक आवारा कुत्ते ने खाना खराब कर दिया था। इस घटना से लगभग 22 लाख रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि स्कूल परिसरों में दिखाई देने वाले हर कुत्ते या मवेशी की संख्या की जानकारी नगरपालिका और ग्राम पंचायतों को दी जाएगी, ताकि उन्हें सुरक्षित रूप से हटाने की व्यवस्था की जा सके।
 
शिक्षक संघों की चिंता को दूर करते हुए यादव ने स्पष्ट किया कि किसी भी शिक्षक को विशेष रूप से ‘कुत्ता निगरानी’ जैसे अतिरिक्त कार्य नहीं दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल में प्रवेश करने वाले लोगों और गतिविधियों पर नजर रखना शिक्षकों का नियमित उत्तरदायित्व है, लेकिन आवारा पशुओं के प्रबंधन की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की रहेगी।
 
उधर सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि स्कूलों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित सभी सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों को प्रवेश न करने दिया जाए और उन्हें सुरक्षित डॉग शेल्टर में रखा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि पकड़े गए कुत्तों को उसी स्थान पर वापस न छोड़ा जाए, क्योंकि इससे आदेश की मंशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
 
अब स्थानीय निकायों पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे आवारा कुत्तों का टीकाकरण, नसबंदी कर उन्हें निर्धारित शेल्टर में रखें। साथ ही प्रत्येक स्थल पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त होगा और तीन महीनों तक नियमित निरीक्षण कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी। यह प्रयास न केवल सार्वजनिक सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा बल्कि स्कूल परिसरों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित वातावरण प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।