सेंसर मंजूरी में देरी: आईएफएफके में फलस्तीन-थीम वाली फिल्मों समेत 19 प्रदर्शनों पर रोक

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-12-2025
Censorship delays: 19 screenings, including Palestinian-themed films, halted at IFFK.
Censorship delays: 19 screenings, including Palestinian-themed films, halted at IFFK.

 

तिरुवनंतपुरम

केरल अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफके-2025) के आयोजक इस वर्ष लगभग 19 फिल्मों के प्रदर्शन के लिए अब भी आधिकारिक सेंसर मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इन फिल्मों में फलस्तीन संघर्ष पर आधारित फिल्में, महान रूसी फिल्मकार सर्गेई आइजनस्टीन की लगभग 100 वर्ष पुरानी क्लासिक ‘बैटलशिप पोटेमकिन’, और ‘बीफ’ शीर्षक की एक फिल्म शामिल हैं। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों के अनुसार, इन फिल्मों को 12 से 19 दिसंबर तक आयोजित 30वें आईएफएफके में प्रदर्शित करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अनुमति लेने को लेकर लगातार बातचीत की जा रही है। मंजूरी न मिलने के कारण कई निर्धारित स्क्रीनिंग रद्द या स्थगित करनी पड़ी हैं।

आईएफएफके की ओर से जारी एक आधिकारिक संदेश में कहा गया,“15 दिसंबर को शाम 6.30 बजे श्री थिएटर में प्रस्तावित ‘बैटलशिप पोटेमकिन’ का प्रदर्शन रद्द कर दिया गया है। संशोधित कार्यक्रम शीघ्र जारी किया जाएगा।”

सूत्रों ने बताया कि ‘बैटलशिप पोटेमकिन’ को सिनेमा के इतिहास की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में गिना जाता है और दुनिया भर में इसे फिल्म अध्ययन की एक क्लासिक कृति माना जाता है। इसके अलावा, फलस्तीन-थीम पर बनी फिल्म ‘ऑल दैट्स लेफ्ट ऑफ यू’ और ‘बीफ’ भी अब तक सेंसर मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं।

इन फिल्मों की अनुमति में कथित देरी को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तीखी आलोचना की है। माकपा महासचिव एम. ए. बेबी ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय पर हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए इसे “बेहद बेतुका और अजीब” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई डर का माहौल पैदा करती है और मंत्रालय का रवैया अतार्किक व सत्तावादी है।

एम. ए. बेबी ने कहा,“‘बैटलशिप पोटेमकिन’ एक ऐसी क्लासिक फिल्म है, जिसका अध्ययन दुनिया भर के फिल्म निर्माता और छात्र लगभग एक पाठ्यपुस्तक की तरह करते हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि “कट्टरपंथी सोच रखने वाले कुछ लोगों ने यह तय कर लिया है कि ऐसी फिल्मों को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए। यह दिखाता है कि देश किस खतरनाक दिशा में आगे बढ़ रहा है।”आईएफएफके आयोजकों और फिल्म प्रेमियों को अब सेंसर मंजूरी का इंतजार है, ताकि महोत्सव में तय कार्यक्रम के अनुसार फिल्मों का प्रदर्शन हो सके।