डिजिटल अरेस्ट’ मामलों की देशव्यापी जांच अब सीबीआई करेगी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 01-12-2025
CBI to now conduct nationwide investigation into 'digital arrest' cases
CBI to now conduct nationwide investigation into 'digital arrest' cases

 

नयी दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने देशभर में तेजी से बढ़ रहे ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले की एकीकृत जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। अदालत ने साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह स्पष्ट करने को कहा है कि साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे बैंक खातों की पहचान और उन्हें तुरंत फ्रीज करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक का उपयोग अब तक क्यों नहीं किया गया।

‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर धोखाधड़ी का एक नया और खतरनाक तरीका है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस, अदालत या सरकारी अधिकारी बताकर ऑडियो-वीडियो कॉल के जरिए नागरिकों पर दबाव बनाते हैं। वे पीड़ितों को मानसिक रूप से बंधक बनाकर उनसे पैसे वसूलते हैं।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना सहित सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने-अपने राज्यों में ‘डिजिटल अरेस्ट’ मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने की अनुमति प्रदान करें।

अदालत ने आरबीआई को नोटिस जारी कर पूछा है कि बैंक धोखाधड़ी वाले खातों को तेजी से चिन्हित करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग क्यों नहीं किया गया, जबकि साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं।

यह आदेश हरियाणा के एक बुजुर्ग दंपति की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लिए गए मामले में जारी किया गया। शीर्ष अदालत ने कहा कि साइबर अपराधी विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाते हैं और उनकी जीवन भर की कमाई छीन लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आईटी प्लेटफॉर्म और मध्यस्थ संस्थाओं को भी निर्देश दिया है कि वे ‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआई को सभी आवश्यक जानकारी और सहयोग प्रदान करें।