सभी मुसलमानों को जिहादी कहना सही नहींः सीएम सरमा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-08-2022
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गुवाहाटी में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गुवाहाटी में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए

 

दौलत रहमान / गुवाहाटी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि असम इस्लामिक कट्टरपंथियों का अड्डा बनता जा रहा है. किंतु पूरे मुस्लिम समुदाय को ‘जिहादियों’ के रूप में ब्रांड करना अनुचित होगा. उन्होंने कहा कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों को केवल मुस्लिम व्यक्तियों से ही असम में जिहादी गतिविधियों के बारे में प्रामाणिक जानकारी मिल रही है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे मुस्लिम समुदाय को जिहादी कहना शत-प्रतिशत गलत होगा. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के आतंकवाद विरोधी अभियान का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय से जिहादियों या कट्टरपंथी तत्वों को खत्म करना है. इसके लिए, हमें समुदाय के समर्थन की आवश्यकता होगी. इसलिए, यदि हम जिहादी जैसे शब्दों का उपयोग करके मुस्लिम समुदाय की भावना को आहत करते हैं, तो हमें उनका समर्थन नहीं मिलेगा. जिहादियों को खत्म करने के लिए हमें मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेना होगा.’’

सरमा ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि शांतिप्रिय मुस्लिम नागरिक जिहादियों को उखाड़ फेंकने के लिए पुलिस को अपना सहयोग देना जारी रखेंगे. मैं समुदाय से विभिन्न निजी मदरसों में गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की अपील करता हूं. विभिन्न क्षेत्रों में मस्जिद प्रबंधन समितियां विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में मस्जिदों में इमामों की नियुक्ति करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए.’’

सरमा ने कहा, ‘‘भारत में कथित उदारवादी और धर्मनिरपेक्षतावादियों ने एक आख्यान बनाया है कि मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है. सारी समस्याएं वहीं से शुरू होती हैं. अगर लोग आंकड़ों और प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ और सबका विश्वास’ पर चलते हैं, तो यह अनुमान होता है कि मोदी के शासन में मुसलमानों के साथ सबसे उचित और समान व्यवहार किया जा रहा है.

‘उदारवादियों’ द्वारा दिए गए एक मोड़ के कारण, मुसलमानों को पीड़ित की तरह दिखाने की धारणा बनाई गई है. उस परिदृश्य में, पीएफआई जैसे संगठन पीड़ित होने की भावना को तेज करते हैं. इसलिए, अब उस शिकार से फसल काटने के लिए, भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईएस) और बांग्लादेश स्थित अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जैसे आतंकवादी समूह भारतीय धरती पर पनप रहे हैं.

सरमा ने आगाह किया कि एक्यूआईएस और एबीटी बेहद प्रतिभाशाली मुस्लिम युवाओं को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में एक्यूआईएस और एबीटी के साथ संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों में मोरीगांव का एक लड़का, जिसने मोरीगांव, भोपाल, मध्य प्रदेश में पढ़ाई की है, अत्यधिक तकनीकी-प्रेमी है, जो पहले कभी नहीं सुने गए ऐप का उपयोग करता है.

असम पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किए गए कई अभियानों में जिहादियों की हालिया गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए, सरमा ने कहा, ‘‘यह उचित संदेह से परे साबित हुआ है कि असम इस्लामी कट्टरपंथियों के लिए एक केंद्र बनता जा रहा है. जब आप 5 मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हैं और अन्य 5 बांग्लादेशी नागरिकों के ठिकाने का पता नहीं चलता है, तो आप इसके वजन की कल्पना कर सकते हैं. अल कायदा का शीर्ष नेता अयमान अल-जवाहिरी, जो हाल ही में काबुल में मारा गया, ने उल्लेख किया था कि असम उनके संगठन की लक्षित सूची थी. ऐसे में असम के हालात थोड़े चिंताजनक हैं. असम पहले से ही अल कायदा के रडार पर है.’’