अब्दुल करीम अमजदी /कालीकट
कालीकट में केरल मुस्लिम जमात और जामिया सेंटर फॉर अल-तकाफ अल-सुन्नाह के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मिलाद सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें मिस्र, ओमान, सऊदी अरब, यूएई, बहरीन, कुवैत सहित कई देशों के धार्मिक नेताओं, राजनयिकों और इस्लामी विद्वानों ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद के नेतृत्व में हज़ारों अनुयायी भी शामिल हुए.
सम्मेलन में प्रमुखता से इजराइल द्वारा नागरिकों के नरसंहार की कड़ी निंदा की गई और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया गया. सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि फिलिस्तीन और लेबनान की सीमाओं पर निर्दोष नागरिकों का नरसंहार हो रहा है, जिसे रोकने के लिए विश्व नेताओं को शांति स्थापित करने के लिए एकजुट होना चाहिए.
अपने मुख्य भाषण में शेख अबू बकर अहमद ने अंतर-धार्मिक संवाद और वैश्विक शांति की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की शिक्षाएं सामाजिक न्याय, महिलाओं की सुरक्षा और शांतिपूर्ण समाज की स्थापना में सहायक हैं. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मुस्लिम समुदाय की असफलताओं का कारण पैगंबर की शिक्षाओं से दूरी है.
सम्मेलन का उद्घाटन बहरीन के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व अध्यक्ष शेख हमद बिन सामी फजल अल-दुसरी ने किया, जिन्होंने इस ऐतिहासिक सम्मेलन की सराहना की. उन्होंने पैगंबर मुहम्मद की महानता और उनके जीवन के आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
सम्मेलन के विशेष अतिथि संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष सलाहकार डॉ. अब्दुल्ला मतौक थे। प्रख्यात धार्मिक विद्वान सैयद अली बाफिकिया ने प्रार्थना की, और अरबी भाषा में पारंपरिक अंदाज में सलाम और मौलाद की प्रस्तुति दी.
सम्मेलन में अन्य प्रमुख वक्ताओं में डॉ. यूसुफ अब्दुल गफूर अल-अबासी, शेख ईसा मुहम्मद अल-अवान, अली मसूदुल काबी, मौलाना अब्दुल कादिर, सैयद खलील अल-बुखारी और डॉ. मुहम्मद अब्दुल हकीम अजहरी शामिल थे. सम्मेलन का समापन देश में शांति और अमन की दुआ के साथ हुआ.