अन्नावसल (पुदुक्कोट्टई जिला)
पुदुक्कोट्टई जिले के अन्नावसल में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की गई। इस कार्यक्रम के दौरान, रेनोवेट की गई अन्नावसल मस्जिद का उद्घाटन किया गया, और आस-पास के गांवों के हिंदू समुदाय के लोग इस अवसर पर शामिल हुए। उन्होंने पारंपरिक तोहफों, फूलों और फल लेकर मस्जिद का स्वागत किया, जिससे यह आयोजन सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का जीवंत उदाहरण बन गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में पुदुक्कोट्टई जिले के प्रमुख इमाम, हाजी मौलाना मौलवी अल्हाज सदक्कतुल्लाह उलवी हज़रत ने मस्जिद का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुथवल्ली अब्दुल सुकूर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। समारोह में दारुल उलूम हिकमथुन बालिका अरबी कॉलेज, मेलापल्लीवसल, जामिया सिराजुम मुनीर अरबी कॉलेज और अन्य धार्मिक और शैक्षिक संस्थानों के विद्वानों ने भी भाग लिया और भाईचारे, आपसी सम्मान, और साझा सांस्कृतिक विरासत के महत्व पर प्रेरणादायक भाषण दिए।
सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर
उद्घाटन समारोह में इमाम सदक्कतुल्लाह उलवी हज़रत ने कहा, "यह आयोजन हमारे गांवों की असली पहचान को दर्शाता है, जहां प्रेम और सम्मान की भावना सर्वोपरि है। आस्था भले ही अलग हो, लेकिन इंसानियत और भाईचारे के बंधन ने हमें हमेशा एकजुट रखा है। आज अन्नावसल ने एक ऐसा संदेश दिया है, जिसे पूरे देश को अपनाना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे गांवों में सद्भाव और आपसी सम्मान की परंपरा सदियों से चल रही है, और यह कार्यक्रम उसी परंपरा को जीवित रखता है।" इस बात ने समारोह में मौजूद सभी लोगों को एकजुट किया और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को और मजबूत किया।
हिंदू समुदाय की भागीदारी
इस मौके पर, अन्नावसल और उसके आसपास के गांवों से 2,000 से अधिक लोग समारोह में शामिल हुए, जिनमें हिंदू समुदाय के कई लोग भी थे। इन लोगों ने मस्जिद के उद्घाटन समारोह में फूल, फल और पारंपरिक तोहफे लाकर एकता का संदेश दिया। लोकल हिंदू समुदाय के सदस्यों का कहना था कि वे हमेशा मुस्लिम समुदाय के आयोजनों में भाग लेते रहे हैं और इस बार भी वे पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए।
भगवती अम्मन मंदिर के हेडमैन सेतु रमन ने कहा, "हम हमेशा अपने मुस्लिम भाइयों के खास आयोजनों में उनके साथ खड़े रहते हैं। इस बार करीब 100 लोग लगभग 15 सेट चढ़ावे के साथ मस्जिद के उद्घाटन समारोह में पहुंचे थे। यह हमारे बीच दोस्ती और भाईचारे का प्रतीक है।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम यह दिखाता है कि दोनों समुदायों के बीच कोई अंतर नहीं है, और हमारा संबंध हमेशा एकजुटता और समझ से भरपूर रहा है। "हमारे लिए यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक मिलनसारता का उदाहरण है।"
कार्यक्रम का प्रभाव
समारोह में शामिल हुए लोगों ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से इलाके में शांति, सहअस्तित्व और सांप्रदायिक सद्भाव की परंपरा और भी मजबूत होती है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, "यह कार्यक्रम हमारे लिए एक प्रेरणा है। अन्नावसल में जो कुछ हुआ, वह न केवल इस क्षेत्र, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श है। जब तक हम एक दूसरे का सम्मान करेंगे और आपसी रिश्तों को मजबूत करेंगे, तब तक हमें कोई भी समस्या नहीं आएगी।"
समारोह के दौरान, कई अन्य धार्मिक और सामाजिक नेताओं ने भी इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम सांप्रदायिक बंधनों को मजबूत करने में मदद करते हैं और यह दिखाते हैं कि धर्म और आस्था से ऊपर मानवता और भाईचारे का संबंध है।
क्षेत्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव की प्रतीक
इस समारोह ने क्षेत्र में सद्भाव और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की परंपरा को और मजबूत किया। मस्जिद के उद्घाटन के बाद, इलाके के लोग न केवल अपने धार्मिक आयोजनों में एक-दूसरे को सम्मानित करते हैं, बल्कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भागीदारी निभाते हैं।
कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच साझा सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को मनाने के लिए कोई बाधा नहीं है। यह आयोजन एक उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने का प्रतीक बना, जहां सभी समुदाय मिलकर देश और समाज की समृद्धि में योगदान कर सकते हैं।






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