कश्मीर पर अल-कायदा का बयान आइएसआइ के दिमाग की उपजः खुफिया एजेंसियां

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 03-09-2021
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि वैश्विक जिहाद पर अल कायदा का हालिया बयान जिसमें कश्मीर भी शामिल है, पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के इशारे पर दिया गया था. 30-31अगस्त की मध्यरात्रि में अमेरिकी सेना के अंतिम दल के अफगानिस्तान छोड़ने के एक दिन बाद, अल कायदा ने एक बयान जारी किया था, जिसमें उसने कश्मीर सहित इस्लामिक भूमि को मुक्त करने के लिए एक वैश्विक जिहाद का आह्वान किया था.

अमेरिका से बाहर निकलने के बाद देश पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने के लिए तालिबान को बधाई देते हुए, अल-कायदा ने कहा, इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से लेवेंट, सोमालिया, यमन, कश्मीर और बाकी इस्लामी भूमि को मुक्त करो. अल्लाह. ! दुनिया भर के मुस्लिम कैदियों को आजादी दें.

सूत्रों ने कहा कि कश्मीर को शामिल करना काफी खतरनाक है, क्योंकि यह अतीत में तालिबान के एजेंडे में कभी नहीं रहा है. सूत्रों ने कहा कि इससे पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जैसे आतंकी समूहों का मनोबल बढ़ेगा.

सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी अल कायदा के बयान का विश्लेषण कर रहे हैं, जो न केवल भारत के लिए बल्कि मध्य एशिया और पाकिस्तान के कई हिस्सों में भी काफी चिंताजनक है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि भारतीय सुरक्षा बल पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर हाई अलर्ट पर हैं और जम्मू-कश्मीर में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, मगर आतंकवादियों के पास कब्जा किए गए अमेरिकी हथियार भी हैं और इसी चीज ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है.

सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सभी हितधारकों के साथ स्थिति पर चर्चा की है.

अधिकारी ने कहा, इस बात के संकेत मिले हैं कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों ने तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के तुरंत बाद अपने आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में धकेलने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं.

उनके अनुसार, पाकिस्तान में सीमा के पास लॉन्च पैड पर गतिविधि तेज हो गई है, जो घुसपैठ की योजना में वृद्धि का संकेत देता है. इस साल फरवरी में संघर्ष विराम की घोषणा के बाद इन लॉन्च पैड्स को छोड़ दिया गया था और नवीनतम इनपुट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार 300 से अधिक आतंकवादियों ने फिर से इन शिविरों पर कब्जा कर लिया है.