कलबुर्गी (कर्नाटक),
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने रविवार को कर्नाटक के कलबुर्गी में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.शुक्रवार को केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया। केंद्र ने यह दावा किया कि यह कानून संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है.
केंद्र सरकार ने कहा कि यह संशोधन केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए धर्मनिरपेक्ष पहलू के विनियमन से संबंधित है और इससे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत गारंटीकृत धार्मिक स्वतंत्रता का कोई उल्लंघन नहीं होता.
केंद्र ने न्यायालय से यह अनुरोध किया कि वह इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक न लगाए और कहा कि इस तरह के मामले में संविधानिक न्यायालय कभी भी किसी वैधानिक प्रावधान पर रोक नहीं लगा सकते.
सरकार ने यह भी कहा कि वक्फ-बाय-यूजर को वैधानिक संरक्षण से वंचित करने का यह मतलब नहीं है कि मुस्लिम समुदाय का कोई व्यक्ति वक्फ बनाने के अधिकार से वंचित हो जाएगा.
हलफनामे में यह भी कहा गया कि वक्फ-बाय-यूजर से संबंधित झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, जिससे यह भ्रम उत्पन्न किया जा रहा है कि जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं, वे प्रभावित होंगे.
केंद्र ने कहा कि यह सिर्फ एक "जानबूझकर, उद्देश्यपूर्ण और शरारतपूर्ण" आरोप है और इसका उद्देश्य न्यायालय को गुमराह करना है.इसके अलावा, केंद्र ने यह स्पष्ट किया कि 'वक्फ-बाय-यूजर' के संरक्षण के लिए किसी ट्रस्ट, विलेख या दस्तावेज़ी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है.
संशोधन के तहत एकमात्र आवश्यक शर्त यह है कि ऐसे वक्फ को 8 अप्रैल, 2025 तक पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा.सरकार ने यह भी कहा कि जो लोग जानबूझकर पंजीकरण से बचेंगे, वे इस प्रावधान के लाभ का दावा नहीं कर सकते.