दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार मामले में फिल्म निर्देशक सनोज मिश्रा को जमानत दी
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला से बलात्कार के आरोपी फिल्म निर्देशक सनोज कुमार मिश्रा को जमानत देते हुए कहा कि यह मामला यौन अपराधों की झूठी शिकायतें दर्ज कराने की हालिया प्रवृत्ति को दर्शाता है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह मिश्रा के साथ रिश्ते में थी और उसने सहमति से उनके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे तथा उसने मिश्रा के कुछ प्रतिद्वंद्वियों के प्रभाव में आकर शिकायत दर्ज कराई थी. न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया को नबी करीम के थाना प्रभारी ने बताया कि उन्होंने शिकायतकर्ता महिला और उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्होंने कथित तौर पर उन्हें आरोपी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर करने की साजिश रची थी.
उच्च न्यायालय ने 30 मई को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘यह एक और मामला है, जो यौन अपराधों की झूठी शिकायतें दर्ज कराने के हालिया चलन को दर्शाता है. यौन अपराधों की हर झूठी शिकायत न केवल अपराध के आरोपी व्यक्ति को भारी नुकसान पहुंचाती है, बल्कि पूरे समाज में निराशा और अविश्वास भी पैदा करती है. इसके कारण यौन अपराधों के वास्तविक पीड़ितों को भी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि समाज को उनकी सच्ची शिकायत भी झूठी लगने लगती है. ऐसी झूठी शिकायतों से सख्ती से निपटना होगा. मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित चड्ढा ने कहा कि उनके मुवक्किल को शिकायतकर्ता ने झूठा फंसाया है, ताकि वह उन्हें फिल्म उद्योग में मौका देने के लिए मजबूर कर सके.
वकील ने दलील दी कि आरोपी और पीड़िता लंबे समय से ‘लिव-इन’ रिश्ते में थे, वह भी मुंबई में, और अभियोजन पक्ष के अनुसार, कथित अपराध मध्यप्रदेश के ओरछा में हुआ था, इसलिए दिल्ली का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि हलफनामे में शिकायतकर्ता ने भी यह कहा है कि यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है.
परिस्थितियों पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा कि उन्हें आरोपी को स्वतंत्रता से वंचित करने का कोई कारण नहीं मिला। अदालत ने मिश्रा को 10,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के बॉण्ड पर जमानत दे दी. इससे पहले, उच्च न्यायालय ने मिश्रा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 30 मार्च को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 354सी (छिपकर देखना), 313 (सहमति के बिना गर्भपात कराना), 323 (चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत कथित अपराधों के संबंध में गिरफ्तार किया गया था.