स्पेशल रिपोर्टः देश में स्वास्थ्य सेवाओं में आया है काफी सुधार, पर मंजिल अभी दूर

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 20-09-2022
देश में स्वास्थ्य सेवाओं में आया है काफी सुधार, पर मंजिल अभी दूर
देश में स्वास्थ्य सेवाओं में आया है काफी सुधार, पर मंजिल अभी दूर

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

अपने देश ही नहीं, दुनिया भर में पिछले दो साल से कोविड महामारी ने तांडव मचाया था. देश में कोविड -19 के प्रकोप से जिस तरह से मौतें हुईं और जिस तरह से दूसरी लहर के दौरान मौतें हुईं, उससे स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बहुत तरह के प्रश्न उठे.

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर देश में डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ आदि की मौजूदा संख्या क्या है और हमारे सेवाओं की क्या हालत है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में अप्रैल के महीने में एक सवाल के लिखित जवाब में इसका उत्तर दिया है.

मौजूदा वक्त में, नवंबर 2021 में, देश में कुल 13,01,319 एलोपैथिक डॉक्टर हैं जो राज्य के मेडिकल काउंसिल और नेशनल मेडिकल कमीशन में रजिस्टर्ड हैं. देश में डॉक्टर और मरीज का अनुपात 1: 834 का है और इस औसत के लिए 80 फीसद एलोपैथिक डॉक्टरों और 5.65 लाख आयुष डॉक्टरों की उपलब्धता को आधार माना गया है.

देश में 2.89 लाख पंजीकृत डेंटिस्ट, 32.63 लाख पंजीकृत नर्सिंग स्टाफ और 13 लाख सहयोगी और हेल्थकेयर पेशेवर हैं.

गौरतलब है कि देश में 1951 में 61,840 डॉक्टर थे और आज की तारीख में 13 लाख से अधिक डॉक्टर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डॉक्टर जनसंख्या का अनुपात 1:1000 रखा है और देश में यह 1:834 है.

 

हालांकि, स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है और स्वास्थ्य कर्मियों के पद की रिक्तियां भरने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार ने कोविड 19 वैक्सीनेशन में हेल्थ केयर वर्कर्स को प्राथमिकता दी ताकि उन्हें पूरी सुरक्षा दी जा सके.

 

केंद्र सरकार ने देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के उपाय भी किए हैं. इसके लिए देश में मेडिकल की सुविधाएं भी बढ़ाई गई हैं. देश में 2014 के पहले अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संखया 51,348 थी जबकि आज की तारीख में यह 89, 875 हो गई है और इस तरह इन सीटों में करीबन 75 फीसद बढ़ोतरी पिछले आठ सालों में की गई है.

पोस्ट-ग्रेजुएट सीटों में भी 93 फीसद का इजाफा हुआ है और 2014 के पहले पीजी मेडिकल की सीटें 31,185 थीं जो अब बढ़कर 60,202 हो गई हैं.

देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजिय योजना के तह नए मेडिकल कॉलेज और जिला या रेफरल अस्पतालों को अपग्रेड करने की योजना चलाई गई है. इसके तहत 175 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव हुआ है और इनमें से 71 कामकाज शुरू कर चुके हैं.

सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक्स में बदलने की भी योजना चल रही हैं. और इसक तहत 75 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और इनमें से 55 पूरे हो गए हैं.

केंद्रीय योजना के तहत नए एम्स की स्थापना की दिशा में भी काफी विस्तार हुआ है और 22 एम्स को मंजूरी दी गई है. लोकसभा में जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि 19 एम्स में अंडरग्रेजुएट कोर्स शुरू हो गए हैं.

फैकल्टी, स्टाफ, बेड स्ट्रेंथ और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता के अनुसार मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए मानदंडों में छूट दी गई है और संकाय की कमी को पूरा करने के लिए संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए डीएनबी योग्यता को मान्यता दी गई है.

दूसरी तरफ, इंडियन नर्सिंग काउंसिल के दस्तावेजों के मुताबिक, देश में 33.41 ल्ख नर्सिंग कर्मचारी रजिस्टर्ड हैं और इससे प्रति हजार आबादी पर नर्सिंग स्टाफ का अनुपात 1.96 है.

देश में आजादी के ठीक बाद, 1951 में नर्सिंग स्टाफ की कुल संख्या 16,550 थी जो 2022 में बढ़कर 33,41,000 हो गई है.

 

देश में नर्सिंग स्टाफ की बढ़ोतरी के लिए कुछ और भी उपाय किए जा रहे हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि स्कूल/कॉलेज ऑफ नर्सिंग और हॉस्टल के लिए भवन निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता के मानकों में ढील दी गई है. पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए 100 बिस्तरों वाले मूल अस्पताल की आवश्यकता में ढील दी गई है.

एमएससी (एन) कार्यक्रम के लिए छात्र शिक्षक अनुपात को 1:5 से 1:10 . कर दिया गया है

नर्सिंग संस्थानों के लिए छात्र रोगी अनुपात को 1:5 से घटाकर 1:3 कर दिया गया है. नर्सिंग कॉलेज के लिए अधिकतम 100 सीटें उन लोगों को दी जाएंगी जिनके मूल अस्पताल में 300 बेड हैं.

स्कूल से अस्पताल की दूरी को 15 किमी से घटाकर 30 किमी कर दिया गया है. हालांकि, पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए अधिकतम दूरी 50 किमी है.डिप्लोमा और डिग्री के लिए प्रवेश यानी (अंक) के लिए पात्रता मानदंड में ढील दी गई है.

आजादी के अमृत काल में हम अगर स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ देखें तो हमने काफी लंबा रास्ता तय किया है लेकिन अभी काफी दूरी तय करनी बाकी है.