ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय, जिनकी फिल्मी दुनिया में भी एक मजबूत पहचान है, ने पिछले 18 वर्षों से कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए अपनी सामजिक पहलें चलाकर समाज में एक नई दिशा दी है। इन पहलों में सबसे प्रमुख है ‘खिलौना बैंक’ पहल, जो विशेष रूप से कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए बनाई गई थी। इस रिपोर्ट में हम विवेक ओबेरॉय द्वारा शुरू की गई इस पहल का विस्तृत विवरण देंगे, जिसमें उन्होंने कैंसर पीड़ित बच्चों को मानसिक और भावनात्मक सहारा देने के लिए 'खिलौना बैंक' की शुरुआत की थी। साथ ही हम विवेक ओबेरॉय द्वारा किए गए अन्य सामाजिक कार्यों पर भी प्रकाश डालेंगे।
'खिलौना बैंक' पहल:
विवेक ओबेरॉय ने 2002 में कैंसर पेशेंट्स एड एसोसिएशन (CPAA) के साथ मिलकर 'खिलौना बैंक' की शुरुआत की, जो विशेष रूप से कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए एक अनूठी पहल थी। इस पहल के तहत, विवेक ओबेरॉय ने एक ऐसा सिस्टम स्थापित किया, जहां कैंसर पीड़ित बच्चे खिलौने उधार ले सकते थे, ताकि वे मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत महसूस कर सकें।
आरंभ:
'खिलौना बैंक' पहल की शुरुआत 2002 में CPAA के साथ मिलकर की गई थी।
यह पहल विशेष रूप से कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए थी, जिनकी उपचार यात्रा काफी कठिन और मानसिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण होती है।
खिलौने उधार देने की व्यवस्था:
इस पहल के तहत, बच्चों के लिए खिलौनों का संग्रह किया गया था, जिसे वे उधार ले सकते थे।
बच्चे कुछ समय के लिए खिलौने लेकर खेल सकते थे और फिर उन्हें वापस कर सकते थे। यह पहल बच्चों को न केवल खेलने का अवसर देती थी, बल्कि उन्हें मानसिक शांति और खुशी भी प्रदान करती थी, जो उनके उपचार के दौरान आवश्यक थी।
उद्देश्य:
इस पहल का मुख्य उद्देश्य था कि कैंसर से पीड़ित बच्चों को मानसिक सहारा मिले और वे इलाज के दौरान खुश रहें। साथ ही, यह पहल बच्चों को एक सकारात्मक माहौल देती थी, जिससे उनका आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता मजबूत हो सके।
इसके अलावा, इस पहल का उद्देश्य यह था कि कैंसर से जूझते बच्चों को यह महसूस हो कि वे अकेले नहीं हैं और समाज उनके साथ है।
व्यापक सहायता प्रणाली:
'खिलौना बैंक' केवल एक खिलौने का संग्रह नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक सहायता प्रणाली का हिस्सा था। इस प्रणाली में बच्चों और उनके परिवारों को भावनात्मक और वित्तीय सहायता भी दी जाती थी।
यह पहल CPAA के तहत काम करती थी, जिसका उद्देश्य कैंसर से पीड़ित बच्चों को सिर्फ इलाज ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करना था।
विवेक ओबेरॉय के अन्य सामाजिक कार्य:
विवेक ओबेरॉय ने सिर्फ 'खिलौना बैंक' के माध्यम से कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए मदद नहीं की, बल्कि उन्होंने इस दौरान कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी किए हैं, जो उनके सामाजिक योगदान को और भी प्रभावशाली बनाते हैं। इन कार्यों के माध्यम से विवेक ने हजारों परिवारों की मदद की है, जो कैंसर जैसे गंभीर रोग से जूझ रहे थे।
250,000 बच्चों को समर्थन:
पिछले 18 वर्षों में, विवेक ओबेरॉय ने 250,000 से अधिक गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों से आए बच्चों को कैंसर से लड़ने के लिए वित्तीय और भावनात्मक समर्थन प्रदान किया। इन बच्चों के परिवारों को विशेष रूप से उनकी इलाज की लागत में मदद दी गई है।
टाटा मेमोरियल अस्पताल के बाहर परिवारों का पुनर्वास:
विवेक ओबेरॉय ने उन परिवारों की मदद की, जो टाटा मेमोरियल अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर सो रहे थे। उन्होंने इन परिवारों को आश्रय और वित्तीय सहायता प्रदान की, ताकि वे अपने बच्चों का इलाज करवा सकें और उनकी अन्य आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
डॉक्टरों और दवाओं के साथ सहयोग:
विवेक ने डॉक्टरों के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए और उनके शुल्क को नियंत्रित करने के प्रयास किए। इसके अलावा, उन्होंने जीवन रक्षक दवाइयों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराया और फार्मास्यूटिकल कंपनियों से CPAA के साथ साझेदारी की अपील की।
किसानों और गरीबों के लिए वित्तीय सहायता:
विवेक ओबेरॉय ने विशेष रूप से उन किसानों और गरीब परिवारों की मदद की, जिन्होंने अपने घर और ज़मीन को लोन के लिए गिरवी रखा था। उन्होंने ऐसे परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की, ताकि उनके बच्चों का इलाज बिना किसी बाधा के हो सके।
विवेक ओबेरॉय का दृष्टिकोण और उपलब्धियां:
विवेक ओबेरॉय का मानना है कि कोई भी बच्चा इलाज की वजह से कष्ट न भोगे, विशेषकर जब उनके माता-पिता इलाज की लागत वहन करने में असमर्थ हों। वह कहते हैं, "हर बच्चे को इस लड़ाई में जीतने का अवसर मिलना चाहिए।" उनके इस दृष्टिकोण ने उन्हें हजारों बच्चों और परिवारों के लिए जीवनदायिनी बनाय
विवेक कहते हैं, "मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे इन बच्चों से मिलने और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार मदद करने का अवसर मिला। उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर मुझे प्रेरणा मिलती है कि मैं और अधिक मेहनत करूं। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे इन बच्चों की मदद के लिए आगे आएं, क्योंकि ये बच्चे किसी अन्य बच्चे से अलग नहीं हैं।"
विवेक ओबेरॉय का 'खिलौना बैंक' और उनके अन्य सामाजिक कार्यों ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया है। उनकी इस पहल ने कैंसर से पीड़ित बच्चों के जीवन में न केवल खुशी और मानसिक शांति प्रदान की, बल्कि उन्हें यह भी एहसास दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं। विवेक ओबेरॉय की 'खिलौना बैंक' पहल ने यह सिद्ध कर दिया है कि समाज में छोटे-छोटे योगदान भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। उनके योगदान से न केवल बच्चों को मदद मिली, बल्कि पूरे समाज में एकजुटता और सहानुभूति का भाव बढ़ा है।
विवेक ओबेरॉय के योगदान ने यह साबित किया है कि अगर किसी के पास इच्छाशक्ति हो, तो वह समाज में बड़े बदलाव ला सकता है। उनकी पहलें कैंसर से जूझते बच्चों के लिए उम्मीद और सहारा बनी हैं, और उनकी कड़ी मेहनत ने समाज में सहायता और सहयोग की भावना को मजबूत किया है।