राजेश खन्नाः बॉलीवुड का वो सुपरस्टार जिसे लड़कियां लिखती थीं अपने खून से खत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-12-2023
Rajesh Khanna: The Bollywood superstar to whom girls used to write letters with their blood
Rajesh Khanna: The Bollywood superstar to whom girls used to write letters with their blood

 

राहील मिर्जा / नई दिल्ली
   
अपनी मस्तानी चाल, जादुई आंखें, मनमोहक आवाज और खास अंदाज में सिर हिलाने वाले बॉलीवुड के बाबू मुशाय की दुनिया दीवानी थी. आई हेट टीयर्स जैसे उनके चुटीले संवाद लंबे समय तक युवाओं की जुबान पर रहे. इस वजह से अभिनेता की एक झलक पाने के लिए उत्सुक रहते थे.

राजेश खन्ना बॉलीवुड के एकमात्र ऐसे अभिनेता रहे जिन्होंने हिंदी सिनेमा में लगातार 15 हिट फिल्में देकर एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो अब तक नहीं टूटा है.स्वतंत्रता-पूर्व भारत के अमृतसर में 29 दिसंबर, 1942 को जन्मे जतिन खन्ना (फिल्म का नाम राजेश खन्ना) के लिए बॉलीवुड में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था.
 
उस समय तक हिंदी सिनेमा में दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद का दबदबा था. फिर वह अभिनय के मोह से बाहर नहीं निकले.राजेश खन्ना का फिल्मी करियर 1966 में फिल्म आखिरी खत से शुरू हुआ.फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
 
1972 तक भी उन्होंने आराधना, डॉली, दो रस्ते, आन मिलो सजना और हाथी मेरे साथी जैसी हिट फिल्में दीं. जहां एक तरफ उन्होंने खुद को एक अभिनेता के रूप में साबित किया, वहीं दूसरी ओर वह एक राजनेता भी रहे. वह हिंदी सिनेमा के. पहले सुपरस्टार कहलाए.
 
फिल्म आराधना की सफलता के बाद निर्देशक शक्ति सामंत को ऐसा लगा जैसे उन्हें कोह-ए-नूर हीरा मिल गया हो जो उनकी फिल्मों की सफलता की गारंटी देता है. इसके बाद उन्होंने उनके साथ कट्टीपतंग, अमर प्रेम, अनुराग, अजनबी, अनुरोध और आवाज जैसी फिल्मों में काम किया.
 
कोई भी अभिनेता अपनी तमाम उपलब्धियों के बावजूद आलोचना से बच नहीं सकता. राजेश खन्ना भी इसके अपवाद नहीं थे.उनकी यह भी आलोचना की गई कि वह केवल रोमांटिक भूमिकाएं ही निभा सकते हैं. ऐसे में निर्देशक ऋषि केश मुखर्जी की फिल्म बावर्ची देकर राजेश खन्ना ने साबित कर दिया कि वह रोमांटिक भूमिकाओं के अलावा अन्य अभिनय भी कर सकते हैं.
 
फिल्म समीक्षक यासिर उस्मान की किताब राजेश खन्ना द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार की प्रस्तावना में सलीम खान 1970 के दशक में राजेश खन्ना की लोकप्रियता के बारे में लिखते हैं.
 
उस समय फिल्म इंडस्ट्री पर दिलीप कुमार, राज कपूर, शमी कपूर और देव आनंद जैसे अभिनेताओं का राज था. उनके आसपास किसी भी नए एक्टर के लिए जगह ढूंढना कोई आसान काम नहीं था. राजेश ने बहुत ही कम समय में न सिर्फ अपना नाम बनाया, बल्कि अपने स्टारडम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.
 
उन्होंने लिखा कि सुपरस्टारडम में उनके उत्थान को 1975-1969 के बीच करीब से देखा गया और मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि वह स्टारडम की जिस ऊंचाई पर पहुंचे, वह हिंदी सिनेमा की दुनिया में कोई भी अन्य सितारा कभी हासिल नहीं कर सका.
 
वह आगे लिखते हैं कि आज मेरा बेटा सलमान खान एक बड़ा स्टार है. इसकी एक झलक पाने के लिए रोजाना हमारे घर के सामने भीड़ जमा हो जाती है. लोग अक्सर मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने किसी स्टार की ऐसी दीवानगी पहले कभी नहीं देखी.
 
मैं इन लोगों को बताता हूं कि मैंने यहां से थोड़ी दूरी पर कार्टर रोड पर आशीर्वाद (राजेश खन्ना के आवास का नाम) के सामने ऐसे कई दृश्य देखे हैं. राजेश खन्ना के बाद मैंने किसी दूसरे स्टार का ऐसा स्वागत नहीं देखा.
 
सलीम खान कहते हैं कि राजेश खन्ना के चाहने वालों में छह साल के बच्चे और 60 साल के बूढ़े भी शामिल थे. लड़कियों ने उनकी जमकर तारीफ की.उनके करियर की हिट फिल्म हाथी मेरे साथी के लेखकों में मैं भी था.
 
मुझे याद है कि इस फिल्म की शूटिंग के लिए मैं उनके साथ मद्रास और तमिलनाडु के कई स्थानों पर गया था, जहां राजेश खन्ना के आगमन को सुनकर भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती थी.सलीम खान के मुताबिक, यह आश्चर्यजनक था. हिंदी फिल्में वहां उतनी लोकप्रिय नहीं थीं.
 
तमिल फिल्म उद्योग स्वयं मजबूत और सफल रहा है. इसके अपने बड़े सितारे रहे हैं, लेकिन राजेश खन्ना का करिश्मा कुछ ऐसा था जो भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को पार कर गया.राजेश खन्ना अपने स्टारडम के चरम पर थे जब एक किशोर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया ने फिल्म बाबी से धूम मचा दी.
 
राजेश खन्ना ने अपने से आधी उम्र की इस नवोदित अभिनेत्री को प्रपोज किया जिसे वह मना नहीं कर सकीं. उनके बारे में मशहूर है कि युवतियां उन्हें अपने खून से खत लिखा करती थीं.राजेश खन्ना के निधन पर मशहूर गायिका आशा भोसले ने कहा कि उनके अपने समय के बेहद लोकप्रिय अभिनेता थे.
 
वह अत्यंत सरल हृदय के थे. लड़कियां उनपर जान छिड़कती थीं, फिर भी उनके पैर जमीन पर रहते थे. मुझे आज भी याद है कि शादीशुदा और अविवाहित लड़कियां उन्हें खून से खत लिखा करती थीं.
 
1976 तक राजेश खन्ना की फिल्में हिट रहीं.यह राजेश खन्ना का स्वर्ण युग था, लेकिन बॉलीवुड के बिग बी अमिताभ बच्चन के आगमन से बॉलीवुड में रोमांस का जादू फैलाने वाले अभिनेता का साम्राज्य ढह गया. एंग्री यंग मैन की सफलता अंतहीन लग रही थी.
 
इस दौरान दर्शकों ने उनकी फिल्मों से मुंह मोड़ लिया. उनकी फिल्में असफल होने लगीं. अपने अभिनय की एकरसता से बचने के लिए उन्होंने फिल्म में नकारात्मक भूमिका निभाकर एक बार फिर प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
 
50 के दशक से हिंदी सिनेमा में कुछ जोड़ियां देखने को मिली हैं. चाहे वह राज कपूर के साथ नरगिस हों या दिलीप कुमार और मधु बाला. इसी तरह मुमताज और शर्मिला टैगोर की जोड़ी भी राजेश खन्ना के साथ खूब पसंद की गई.
 
उन्होंने मुमताज के साथ दो रास्ते, आप की कास, रोटी, सच्चा झूठा जैसी सुपरहिट फिल्में दीं. आनंद, दो रस्ते और खामोशी जैसी फिल्मों से उन्होंने किरदार में गहराई तक उतरने की कला का भी परिचय दिया.
 
फिल्म आनंद में राजेश खन्ना का डायलॉग, बाबू मुशाय....हम सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिनकी डोर ऊपर वाले की उंगली से बंधी है, कब किसकी डोर खिंच जाए कोई नहीं बता सकता, बहुत मशहूर रहा था.
 
यह डायलॉग उन दिनों सिनेप्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय था. आज भी दर्शक इसे नहीं भूले हैं. वैसे यह विचार शेक्सपियर के प्रसिद्ध नाटक एज यू लाइक इट से लिया गया है.1969 की फिल्म आराधना दक्षिण की कई भाषाओं में चार शो के साथ 100 दिनों तक चली.
 
आराधना की भूमिका निभाने वाली शर्मिला टैगोर का कहना है कि उनकी फिल्म ने 50 सप्ताह तक दर्शकों का मनोरंजन किया.उन्होंने अपनी इस फिल्म की तुलना आज की फिल्म आरआरआर से की है.
 
फिल्म आराधना के बारे में हिंदी फिल्म वेबसाइट के मुताबिक, फिल्म का एक गाना रूप तेरा मस्ताना एक टेक में शूट किया गया था, जो एक रिकॉर्ड था. आमतौर पर किसी भी फिल्म या गाने को कई टेक में शूट किया जाता है.
 
जैसे ही राजेश खन्ना प्रसिद्धि की ओर बढ़े, उनका ग्राफ अचानक गिर गया. उनके साथ काम करने वाले और फिल्म शोले में जेलर की भूमिका निभाने वाले मशहूर अभिनेता गोवर्धन असरानी एक इंटरव्यू में कहते हैं कि राजेश खन्ना उस समय श्रेष्ठता की भावना से अभिभूत थे.
 
अपने पतन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे.राजेश खन्ना किसी के भी बहुत करीब नहीं थे. केवल उन्हीं लोगों से बात करना पसंद करते थे जो उनकी प्रशंसा करते थे.असरानी ने कहा कि फिल्म नमक हराम में राजेश खन्ना के अपोजिट भावी सुपरस्टार अमिताभ बच्चन थे, लेकिन वह समझते थे कि उनकी जगह कोई नहीं ले सकता है. इस वजह से उनमें तनाव भी हो गया था.