नई दिल्ली
प्रसिद्ध अभिनेता बॉबी देओल ने दिल्ली में आयोजित लव कुश रामलीला के विजयदशमी समारोह में भाग लिया और रावण के पुतले का प्रतीकात्मक दहन करते हुए बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया। उन्होंने धनुष से तीर चलाकर रावण दहन की परंपरा को निभाया। इस ऐतिहासिक आयोजन को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु और दर्शक उपस्थित हुए।
दिल्ली में ही आयोजित एक अन्य विजयदशमी कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने श्री धार्मिक लीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला में शिरकत की और देशवासियों को दशहरे की शुभकामनाएँ दीं।
उन्होंने अपने संदेश में कहा,"मानवता तभी फलती-फूलती है जब अच्छाई की विजय होती है। जब आतंकवाद रूपी राक्षस मानवता पर हमला करता है, तब उसका अंत करना आवश्यक हो जाता है। भारतीय सेनाओं द्वारा चलाया गया 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद रूपी रावण पर मानवता की विजय का प्रतीक है। इसके लिए हम भारत माता की रक्षा करने वाले हर वीर को नमन और धन्यवाद करते हैं।"
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी पीतमपुरा के पीयू ब्लॉक रामलीला मैदान में आयोजित विजयदशमी कार्यक्रम में भाग लिया और लोगों के साथ इस पावन पर्व का उत्सव मनाया।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, झारखंड और मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में भी रावण दहन की परंपरा के साथ सत्य की असत्य पर विजय का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विजयदशमी के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं।उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा: "विजयदशमी अच्छाई और सत्य की बुराई और असत्य पर विजय का प्रतीक है। मेरी कामना है कि यह पावन अवसर हम सभी को साहस, ज्ञान और भक्ति के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे।देश के कोने-कोने में बसे अपने परिवारजनों को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।"
विजयदशमी या दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में रावण के पुतले जलाने की परंपरा आरंभ हुई। यह पर्व नवरात्रि के नौ दिवसीय उत्सव की समाप्ति का संकेत भी देता है।
यह त्योहार हिंदू पंचांग के अश्विन मास के दसवें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। विजयदशमी के बाद से दीवाली की तैयारियाँ भी शुरू हो जाती हैं, जो विजयदशमी के बीस दिन बाद मनाई जाती है।
देशभर में रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन विजयदशमी की मुख्य परंपरा का हिस्सा है, जो लोगों को यह संदेश देता है कि अंततः जीत हमेशा सत्य और धर्म की ही होती है।