आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक नया ट्रेंड छाया हुआ है. यूज़र्स अपनी टाइमलाइन पर देखते हैं कि शाहरुख खान किसी के साथ खड़े हैं, कहीं शानदार सेल्फी दे रहे हैं, तो कहीं किसी पार्टी में मौजूद दिख रहे हैं. कैप्शन भी दिलचस्प होते हैं—“सपना सच हुआ” या “देखा, मिल ही गए!” लेकिन ध्यान से देखने पर असली राज़ खुलता है.ये तस्वीरें शाहरुख की नहीं, बल्कि AI से बनाई गई फेक इमेज हैं.
लोग इन तस्वीरों पर मज़ेदार कमेंट्स कर रहे हैं, खूब शेयर भी कर रहे हैं. कुछ को यह मनोरंजक लग रहा है, तो कुछ इसे लेकर हैरान हैं. लेकिन बड़ा सवाल है क्या इस तरह किसी सेलिब्रिटी की AI फोटो पोस्ट करना सुरक्षित है ? जवाब है—नहीं!
कानूनी पेंच क्या कहते हैं?
भारतीय कानून के अनुसार, किसी सेलिब्रिटी की छवि, नाम, आवाज़ या व्यक्तित्व का इस्तेमाल बिना उनकी अनुमति के नहीं किया जा सकता. इसे पब्लिसिटी राइट या पर्सनैलिटी राइट कहा जाता है. यह मामला कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, आईटी एक्ट और उपभोक्ता संरक्षण कानून से भी जुड़ा हुआ है.
मतलब साफ़ है,अगर कोई शख्स शाहरुख को अपने बगल में खड़ा दिखाकर उनकी तस्वीर का इस्तेमाल व्यक्तिगत मनोरंजन के लिए करता है, तो मामला शायद हल्का रहे. लेकिन अगर वही तस्वीर किसी विज्ञापन या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल की गई, तो मामला कोर्ट तक पहुँच सकता है और भारी मुआवज़ा भरना पड़ सकता है.
पहले भी लगे हैं करोड़ों के दावे
इससे पहले अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और अनिल कपूर की तस्वीरों का बिना अनुमति इस्तेमाल करने पर अदालतों में करोड़ों रुपये तक के दावे किए जा चुके हैं. ऐसे मामलों में नुकसान की भरपाई की रकम लाखों से लेकर कई करोड़ तक पहुँच सकती है.
शाहरुख क्यों हैं ख़ास मामला?
शाहरुख खान भारत के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडरों में गिने जाते हैं. एक विज्ञापन के लिए वे 8 से 10 करोड़ रुपये तक फीस लेते हैं. ऐसे में अगर उनकी AI-जनरेटेड तस्वीर का इस्तेमाल किसी प्रोडक्ट या विज्ञापन के प्रमोशन में बिना इजाज़त कर लिया जाए, तो मुआवज़े की राशि 5 से 20 करोड़ रुपये तक पहुँच सकती है.
AI की मदद से बनाई गई सेल्फी या फोटो मज़ेदार ज़रूर लग सकती है, लेकिन इसके कानूनी परिणाम गंभीर हो सकते हैं. खासकर तब, जब मामला भारत के सबसे बड़े सुपरस्टार शाहरुख खान जैसा हो. इसलिए अगर आप भी सोशल मीडिया पर शाहरुख के साथ AI से बनाई गई फोटो डालने का सोच रहे हैं, तो दो बार सोच लीजिए,वरना “सपना सच” की बजाय यह एक कानूनी डरावना सपना बन सकता है.