जोहा हैदर ने आईसीएसई बोर्ड परीक्षा में गाड़े झंडे, बिहार में आईं अव्वल

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 03-08-2021
जोहा हैदर ने आईसीएसई बोर्ड परीक्षा  में   गाड़े झंडे, बिहार  में   आईं अव्वल
जोहा हैदर ने आईसीएसई बोर्ड परीक्षा में गाड़े झंडे, बिहार में आईं अव्वल

 

रतना शुक्ला आनंद/पटना
 
एक तरफ भारत की बेटियां टोक्यो ओलंपिक में देश का परचम लहरा रही हैं, वहीं दूसरी पीढ़ी की बेटियां नए कीर्तिमान स्थापित करने में जुटी हैं. बिहार के भागलपुर की 16 साल की जोहा हैदर ने आईसीएसई की 10वीं की बोर्ड परीक्षा में बिहार में टॉप किया है. जोहा हैदर ने 99.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं.

अधिकतर विषयों में मिले 100 अंक भागलपुर के सेंट जोसेफ स्कूल की छात्रा जोहा हैदर की अंक तालिका देखकर आपको एहसास होगा कि बच्ची कितनी मेधावी है. जोहा को इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, गणित और कंप्यूटर ऐप्लिकेशन में 100-100 अंक मिले हैं, जबकि हिंदी और अंग्रेजी में 99-99 और विज्ञान में 96 अंक हासिल किए हैं.

बनना चाहती हैं चिकित्सक

‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात‘ ये कहावत जोहा पर चरितार्थ होती है. वह बचपन से अध्ययनशील हैं. पढ़ाई के लिए उन्हें टोकना नहीं पड़ा. छुटपन में बिजली नहीं होने पर लैंप की रोशनी में इसी लगन से पढ़ाई करती थीं.

जोहा का सपना कामयाब डॉक्टर बनने का है. इसके लिए वह तैयारी में जुटी हुई है. डॉक्टर बनने की इच्छा के पीछे वो तकलीफ और दर्द है जो जोहा ने बचपन से बिहार में देखा है. बेहतर चिकित्सा उपलब्ध नहीं होने से लोगों को इलाज के लिए बड़े शहरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. कोविड के समय स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने उन पर काफी असर डाला. इसीलिए चाहती हैं कि अच्छी डॉक्टर बनकर लोगों के काम आएं.

विश्वास सफलता की कुंजी

जोहा की सभी बच्चों को सलाह है कि आप जिंदगी में जो कुछ हासिल करना चाहती हैं. उसके लिए प्रयासरत रहें. एक ना एक दिन आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी. लगन और मेहनत में कमी नहीं आनी चाहिए. छोटी उम्र में लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है. सफलता पाने की दिशा में यह पहला कदम है.
zoha
परिवार और अध्यापकों को देती हैं श्रेय

बेटियों में उड़ान भरने की अपार क्षमता है.  जरूरत है उन्हें हौसला देने की. बेटियों की जीत में परिवार का सहयोग उनके भीतर खास तरह का आत्मविश्वास पैदा करते हैं. होजा कहती हैं उनके परिवार ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया.

बेहतर तालीम दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. नतीजतन, उन्हें यह कामयाबी मिली. जोहा कहती हैं इंशा अल्लाह जब यहां तक का सफर तय किया है तो आगे की राह भी आसान होगी. उनके मुताबिक, अध्यापकों की समर्पित भावना के चलते ऑनलाइन पढ़ाई के बावजूद उन्हें विषयों को समझने में मुश्किल नहीं आई.

बेटियां लिख रहीं भविष्य की इबारत

जोहा की सफलता उन सभी परिवारों के लिए मिसाल है जिनके घर बेटियां हैं. बिहार का गौरव बनीं जोहा के परिवार का कहना है कि पढ़ लिखकर बेटियां परिवार के लिए सहारा बनती हैं.किसी भी परिस्थिति का मुकाबला आसानी से कर सकती हैं. आज बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में आगे निकल रही हैं. उन्हें ख्वाब देखने दीजिए. अपनी ख्वाहिशें पूरी करने दीजिए और बेटियों को बनने दीजिए कर्णधार.