जामिया में रूस-यूक्रेन युद्ध पर वेबिनार

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 18-08-2022
जामिया में रूस-यूक्रेन युद्ध पर वेबिनार
जामिया में रूस-यूक्रेन युद्ध पर वेबिनार

 

आवाज द वॉयस नई दिल्ली

जामिया मिलिया इस्लामिया के अर्थशास्त्र विभाग ने एक वेबिनार आयोजित किया, जिसमें प्रो. आर.वी. रमण मूर्ति, डीन, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, हैदराबाद विश्वविद्यालय ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर आ रहे आर्थिक बदलाव पर विभिन्न पहलुआंे से रोशनी डाली.

अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशरफ इलियन ने वेबिनार में वक्ता का परिचय देकर कार्यक्रम का आगाज किया. प्रो. बथुला श्रीनिवासु ने वक्ता के बारे में विस्तृत परिचय दिया.प्रो. रमण मूर्ति ने रूस-यूक्रेन युद्ध को आकार देने वाले कारणों पर अंतर्दृष्टि साझा करके व्याख्यान की शुरुआत की.
 
उन्होंने  कहा, रूस एक औद्योगिक अर्थव्यवस्था और यूक्रेन एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने के कारण, उनकी बुनियादी आर्थिक संरचना में भारी भिन्नताएं हैं. दूसरे, सोवियत संघ का प्रतिकूलता और शत्रुता का एक लंबा इतिहास रहा है.
 
आईएमएफ जैसे महान संस्थानों की सलाह पर रूसी अर्थव्यवस्था पूंजीवाद में स्थानांतरित हो गई थी. इस पूंजीवादी प्रकृति ने रूस में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर दी है, जिससे रूसी अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है. तीसरा, रूस को अमेरिकी समाज के लिए खतरा माना गया है.
 
इस प्रकार, रूसी प्रभुत्व के इस डर को दूर करने के लिए, अमेरिका ने भी युद्ध को आकार देने वाली घटनाओं में योगदान दिया है. इसके अलावा, यूक्रेन द्वारा नाटो में शामिल होने का आग्रह अर्थव्यवस्था में अस्थिरता पैदा करेगा, जिससे वर्तमान परिदृश्य बिगड़ जाएगा.
 
उन्होंने आगे इस गैरजरूरी युद्ध के व्यापक आर्थिक परिणामों की व्याख्या की. सबसे पहले, रूसी पेट्रोलियम गैस पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं जो विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
 
दूसरे, रूस दुनिया का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है. युद्ध के बाद के युग में कोयले और अन्य पदार्थों के लिए रूसी अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रों की निर्भरता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, जिससे व्यापार संतुलन नकारात्मक रूप से बाधित हुआ है.
 
प्रो. मूर्ति ने अपने व्याख्यान का समापन यह कहते हुए किया कि आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर के एकाधिकार को चुनौती दी जा सकती है, क्योंकि कई देश अमेरिकी डॉलर से दूर जा रहे हैं. उन्होंने भविष्यवाणी की कि यह दुनिया के लिए अच्छा होगा. अमेरिका खुद इस प्रक्रिया को तेज कर रहा है.
 
व्याख्यान के बाद संकाय, विद्वानों और छात्रों द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ. व्याख्यान का समापन सुश्री अनम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.