सेराज अनवर / पटना
बिहार मदरसा बोर्ड से मौलवी यानी इंटर के समकक्ष पास करने वाले छात्र अब मदीना यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकेंगे.मदीना यूनिवर्सिटी बिहारी मौलवियों को चार साल की तालीम के दौरान वजीफा भी देगी. आने-जाने के लिए फलाइट का किराया भी.यह पहला मौका है कि मौलवी के छात्र विदेश पढ़ने जाएंगे.
बोर्ड के चेयरमैन अब्दुल कय्यूम अंसारी की पहल और जिद्दोजहद से यह संभव हो पाया है.इस सिलसिले में बिहार मदरसा बोर्ड के चेयरमैन की सोमवार को साउदी एंबेसडर से दिल्ली में मुलाकात तय है.उन्हें बोर्ड के एकेडमिक काउंसिल से मदीना यूनिवर्सिटी की डिग्रियों को मान्यता देने संबंधी पत्र भी दिया जाएगा.
मालूम हो कि मदीना यूनिवर्सिटी से पास छात्रों की फाजिल,फिकह,अकायद आदि डिग्री को बिहार मदरसा बोर्ड ने मान्यता दे दी है.ऐसा होनेसे बिहार सहित देश के 23 मदरसों से पास छात्र जिस तरह बिहार के मदरसों में शिक्षक बहाल होते हैं,उसी तरह मदीना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से पास छात्र भी बिहार के मदरसों में टीचर बन सकेंगे.
अब्दुल कय्यूम अंसारी ने बताया कि मदीना यूनिवर्सिटी को यूजीसी से भी मान्यता मिली हुई है.मदीना यूनिवर्सिटी बिहार के मदरसों को 1200 कुरान की प्रति और किताबें भी देगी.
बिहार मदरसा बोर्ड का देश में बज रहा डंका
मदरसे पहले जैसे नहीं रहे.सिर्फ मौलवी की पढ़ाई नहीं होती यहां.मदरसे के बच्चे कम्प्यूटर भी चला रहे और आधुनिक शिक्षा भी पा रहे हैं.मदारीस ए इस्लामिया का पूरा हुलिया बदल गया है.बदलाव की इस प्रक्रिया में बिहार राज्य मदरसा एजुकेशन बोर्ड का डंका न सिर्फ देश में विदेश में भी बज रहा है.केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने बिहार मदरसा बोर्ड को देश भर के मदरसा बोर्ड के लिए रोल मॉडल करार दिया है.
बिहार मदरसा बोर्ड की एक अन्य उपलब्धि पर राज्य गौरवान्वित इसलिए हो रहा है कि यहां से मौलवी पास छात्र मदीना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करेंगे.इस सिलसिले में सोमवार 13 सितंबर को साउदी अरब के एंबेडसर से बिहार मदरसा बोर्ड के चेयरमैन अब्दुल कय्यूम अंसारी की मुलाकात होगी.अब्दुल क्य्यूम अंसारी तीन दिनों से दिल्ली में कैंप कर रहे हैं.
कैसे बना रोल मॉडल ?
बिहार मदरसा बोर्ड ने स्कूल की तर्ज पर क्लास 1 से 8 तक के लिए एससीईआरटी(स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग)और क्लास 9 से मौलवी इंटर तक के लिए एनसीईआरटी(नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग)लागु किया है.
इसके अलावा बिहार के 4000 मदरसों के शिक्षकों को 7वें वेतन आयोग के तहत सैलरी मिल रही है.सभी मदरसों में ड्रेस कोड लागु है.सभी छात्रों को मिड डे मिल मिलता है.मदरसा बोर्ड को मुकम्मल तौर पर डिजिटलाईजेशन किया गया है.
बोर्ड का सारा काम ऑनलाइन हो रहा है.कई राज्यों से सख्त मुकाबला में बिहार मदरसा बोर्ड नंबर वन बना.केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों की मौजूदगी में दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में बिहार के अलावा गुजरात,यूपी,केरल,कर्नाटक,ओड़िसा,राजस्थान
मध्यप्रदेश के मदरसा बोर्ड आदि ने अपना प्रेजेंटेशन दिया.बिहार मदरसा बोर्ड के काम को सराहा गया. मंत्रालय ने इसे देश के मदरसा बोर्ड के लिए रोल मॉडल घोषित किया.प्रेजेंटेशन में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की सचिव रेणुका कुमार,संयुक्त सचिव नगमा निगार के अलावा बिहार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की सचिव एएन सफीना संयुक्त सचिव एए फैजी,डिप्टी डायरेक्टर इबरार और बिहार मदरसा बोर्ड के चेयरमैन अब्दुल कय्यूम अंसारी मौजूद थे.