मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में दक्कन की ख़ानक़ाहों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-12-2025
Maulana Azad National Urdu University organised a national seminar on the Khanqahs of the Deccan.
Maulana Azad National Urdu University organised a national seminar on the Khanqahs of the Deccan.

 

हैदराबाद

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मैनू) के अरबी विभाग द्वारा, कुरआन फ़ाउंडेशन हैदराबाद और सेंटर फॉर उर्दू कल्चर स्टडीज़ के सहयोग से “दक्कन की ख़ानक़ाहें और उनका अकादमिक व सामाजिक योगदान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो. सैयद ऐनुल हसन, कुलपति, मैनू ने की। कार्यक्रम में सैयद मोहम्मद अली अल-हुसैनी, चांसलर, केबीएन यूनिवर्सिटी, गुलबर्गा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि मुफ़्ती ख़लील अहमद, अमीर-ए-जामिया निज़ामिया, हैदराबाद विशेष अतिथि रहे।
उद्घाटन व्याख्यान प्रो. सैयद बदीउद्दीन सबरी, पूर्व अध्यक्ष, अरबी विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय ने प्रस्तुत किया।अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. ऐनुल हसन ने कहा कि सूफ़ीवाद का सफ़र सब्र, सहनशीलता और निरंतरता की मांग करता है। उन्होंने बताया कि दक्कन की ख़ानक़ाहों पर संगोष्ठी आयोजित करने का उद्देश्य इस क्षेत्र में शोध को प्रोत्साहित करना और शोधार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ाना है।

मुफ़्ती ख़लील अहमद ने अपने संबोधन में कुरआन का हवाला देते हुए कहा कि आधुनिक विज्ञान जिन तथ्यों को आज स्वीकार कर रहा है, वे कुरआनी शिक्षाओं में पहले से मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “सूफ़ीवाद दरअसल अख़लाक़ का नाम है, और अख़लाक़ ही इंसानियत की असल पहचान है।”

मुख्य अतिथि सैयद अली हुसैनी ने ख़ानक़ाही प्रणाली के पुनर्जीवन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से ख़ानक़ाहें केवल इबादत की जगह नहीं थीं, बल्कि प्रशिक्षण, शिक्षा, जनसेवा और आध्यात्मिक परवरिश के केंद्र भी थीं।

अपने मुख्य व्याख्यान में प्रो. बदीउद्दीन सबरी ने कहा कि “ख़ानक़ाह” का एक अर्थ भोजनशाला भी है, इसलिए ख़ानक़ाहों में लंगर की व्यवस्था रखी जाती थी। इसका दूसरा अर्थ इबादतगाह है।मैनू के रजिस्ट्रार प्रो. इश्तियाक़ अहमद ने बताया कि संगोष्ठी में प्रस्तुत शोधपत्रों को पुस्तक रूप में प्रकाशित किया जाएगा, जिसमें 89 उर्दू और 14 हिंदी व अंग्रेज़ी के शोधपत्र शामिल होंगे।

संगोष्ठी का स्वागत भाषण प्रो. सैयद अलीम अशरफ़, अध्यक्ष, अरबी विभाग एवं संगोष्ठी निदेशक ने दिया।कार्यक्रम का संचालन प्रो. एम.ए. सामी सिद्दीकी, संयुक्त अधिष्ठाता (छात्र कल्याण) ने किया।