जामिया कुलपति प्रो. नजमा अख्तर प्रभावशाली महिलाओं की BW Business World लिस्ट में शामिल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-03-2023
जामिया कुलपति प्रो. नजमा अख्तर प्रभावशाली महिलाओं की BW Business World लिस्ट में शामिल
जामिया कुलपति प्रो. नजमा अख्तर प्रभावशाली महिलाओं की BW Business World लिस्ट में शामिल

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर का नाम बीडब्ल्यू बिजनेस वर्ल्ड मैगजीन (BW Business World ) की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया है. उन्होंने यह उपलब्धि भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में मूल्य जोड़ने वाली महिलाओं के कैटेगरी में हासिल की है.

दरअसल, अशांत समय में केंद्रीय विष्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया का कुलपति बनना और 2022में एनआरआईएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालय को तीसरे पायदान पर ले जाना उनकी बड़ी उपलब्धि मानी जाती है.प्रो. नजमा अख्तर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास की पहली महिला कुलपति हैं. विश्वविद्यालय की स्थापना 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान हुई थी.

संस्थान अब तक कुशलता और सुनिश्चित रोजगार की जरूरतों को पूरा करने वाली उच्च शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है.जामिया मिलिया इस्लामिया में नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं और शैक्षणिक स्तर पर विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में नाटकीय रूप से वृद्धि पाई गई है.

पाठ्यक्रमों में ऊर्जा विज्ञान, कम्प्यूटेशनल गणित, सूक्ष्म जीव विज्ञान, वायरोलॉजी (जो बन गया है), होटल प्रबंधन, वास्तुकला और नवाचार के अलावा पेशेवर पाठ्यक्रम, भाषाएं शामिल किए गए हैं. इनमें स्नातक से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई की सुविधा है.

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 कुलपति की इच्छा है कि पाठ्यक्रम छात्रों के लिए रोजगारपरक बनाएं. इसके लिए विवि का प्लेसमेंट सेल दिन-रात काम करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पाठ्यक्रम समाप्त होने से पहले छात्रों को समय पर रोजगार मिल सके. विश्वविद्यालय नौकरी की तैयारी और साक्षात्कार के लिए उद्योग और दूसरे पेशेवरों की मदद से कार्यशालाएं और व्याख्यान आयोजित करता है.

रूढ़िवादिता को धता बताते हुए विश्वविद्यालयों में इंजीनियरिंग विभागों और वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों में पढ़ाई पूरी कर कई छात्राएं आज उंचे पदों पर पहुंच गई हैं. पहली पीढ़ी की छात्राएं अपने पूरे परिवार में बदलाव लाना चाहती हैं. प्रोफेसर नजमा अख्तर बताती हैं कि वह लड़कियों को सेना में भर्ती के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं. विश्वविद्यालय न केवल परिसर में बल्कि कई शहरी केंद्रों और कुछ ग्रामीण केंद्रों में भी छात्रों तक पहुंच बनाए हुए है.

पत्रिका ने आगे लिखा कि अनुसंधान सहयोग और अंतःविषय कार्य पर अधिक जोर देने के लिए इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर रहा है. कुलपति नजमा अख्तर का कहना है कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें अच्छे शोधार्थी मिले, जो अपना काम अलग-अलग कर अब सामूहिक रूप से राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रों की पहचान बन गए हैं.

 उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी के रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार किया गया है. 15करोड़ रुपये के डीएसटी अनुदान ने विश्वविद्यालय को अत्याधुनिक उपकरण हासिल करने और एक केंद्रीय उपकरण सुविधा स्थापित करने में सक्षम कामयाब बनाया है.

विश्वविद्यालय अन्य विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं को भी इस बुनियादी ढांचे का उपयोग करने की अनुमति देता है. वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में विश्वविद्यालय के पास 11 पेटेंट हैं.

इसके अनुसंधान और अकादमिक फोकस को साझेदारी द्वारा और बढ़ाया जा रहा है. इसके तहत वर्जीनिया विश्वविद्यालय, एरफर्ट विश्वविद्यालय (जर्मनी), वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय (यूके), कोरिया फाउंडेशन आदि के साथ 70समझौते किए गए हैं. वह कहती हैं, ये गतिशील समझौते संयुक्त अनुसंधान और छात्र व संकाय विनिमय के अवसर प्रदान करते हैं.

एनईपी के साथ तालमेल पर प्रो. नजमा अख्तर कहती हैं कि यह ऐसी चीज है जिसका हम लंबे समय से इंतजार था. यह एक भविष्यवादी नीति है जो आज की समस्याओं को समझती है और कल की योजना बनाती है.वह कहती हैं कि एनईपी के घटकों के कार्यान्वयन पर बहुत विचार-विमर्श के बाद, जैसे कि एकाधिक प्रवेश और निकास, बैंक ऑफ क्रेडिट, चार साल के डिग्री पाठ्यक्रमों में बदलाव, विश्वविद्यालय एनईपी को लागू करने के लिए तैयार किया गया है.