डीयू में अब नहीं मिलेगा गुलदस्ता और स्मृति चिह्न, स्वागत के लिए सिर्फ अंगवस्त्रम और फल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-10-2025
DU will no longer offer bouquets and souvenirs as part of its welcome ceremony; only scarves and fruit will be given to guests.
DU will no longer offer bouquets and souvenirs as part of its welcome ceremony; only scarves and fruit will be given to guests.

 

नई दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अपने सभी कॉलेजों और संस्थानों में आयोजनों के दौरान गुलदस्ते, स्मृति चिह्न और अन्य उपहारों पर रोक लगाने का फैसला किया है। इसके स्थान पर अब फूलों की माला, अंगवस्त्रम (स्टोल) या फलों की टोकरी का ही उपयोग करने की अनुमति होगी।

 क्यों उठाया गया यह कदम?

यह निर्णय अवांछित खर्च पर नियंत्रण और संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में डीयू की एक पहल है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस नए प्रोटोकॉल का उद्देश्य सरल, सादगीपूर्ण और समाजोपयोगी आयोजनों को बढ़ावा देना है।

 26 सितंबर को जारी हुई अधिसूचना

इस संबंध में 26 सितंबर को एक अधिसूचना जारी की गई, जिसमें स्पष्ट कहा गया है:“किसी गणमान्य व्यक्ति या अतिथि के स्वागत या सम्मान में गुलदस्ते, स्मृति चिह्न या कोई अन्य उपहार नहीं दिया जाएगा। इसकी जगह फूलों की माला, अंगवस्त्रम और/या फलों की टोकरी का उपयोग किया जा सकता है।”

 फल बच्चों में बांटने की होगी जिम्मेदारी

अधिसूचना में एक सामाजिक उत्तरदायित्व भी जोड़ा गया है। आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि समारोह के बाद दी गई फलों की टोकरी को पास के सरकारी स्कूलों या अनाथालयों में वंचित बच्चों के बीच वितरित किया जाए।“फल भेंट स्वरूप दिए जा सकते हैं, लेकिन बाद में उनका वितरण जरूरतमंद बच्चों में किया जाना अनिवार्य है।”

 सभी कॉलेजों में तत्काल लागू

डीयू प्रशासन ने कहा है कि यह निर्देश विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों, विभागों और संबद्ध संस्थानों पर तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इसका उद्देश्य हर प्रकार के शैक्षणिक आयोजन जैसे संगोष्ठी, सम्मेलन, सेमिनार और स्मृति कार्यक्रमों में फिजूलखर्ची रोकना है।

डीयू का यह कदम स्वागत योग्य है, क्योंकि यह न केवल सादगी और संसाधन बचत को बढ़ावा देता है, बल्कि आयोजनों को समाज के साथ जोड़ने की दिशा में भी एक सकारात्मक पहल है। अब सम्मान सिर्फ दिखावे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसका समाज पर सकारात्मक असर भी पड़ेगा।