दर्द की स्पीड पर काबू पाने को जापान में रिसर्च कर रही हैं एएमयू की डॉ. शाइस्ता

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 17-03-2021
 जापान में रिसर्च कर रही हैं एएमयू की डॉ. शाइस्ता
जापान में रिसर्च कर रही हैं एएमयू की डॉ. शाइस्ता

 

रेशमा/ अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के डॉ. जेडए डेंटल कॉलेजकी डॉ. शाइस्ता दर्द की स्पीड पर काबू पाने के लिए एक रिसर्च कर रही हैं. यह दर्द चेहरे के कई हिस्सों से जुड़ा होगा. उनकी यह रिसर्च दुनिया के जाने-माने तकुशिमा यूनिवर्सिटी, जापान के ग्रेजुएट स्कूल आफ हेल्थ बायोसाइंसेज में चल रही है.

हाल ही में उनकी रिसर्च से जुड़े एक रिसर्च पेपर को बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया है. इससे पहले डा. शाइस्ता के 17से अधिक रिसर्च अर्टिकल प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिकाओं में पब्लिश हो चुके हैं. हाल ही में शाइस्ता ने जापान के इसी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री हासिल की है. इससे पहले उन्होंने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ से प्रोस्थोडॉन्टिक्स में एमडीएस और डॉ. जेडए डेंटल कॉलेज, एएमयू से बीडीएस की डिग्री हासिल की है.

एनीमल के बाद अब क्लीनिकल ट्रॉयल का इंतज़ार

डॉ. शाइस्ता ने बताया कि अभी तक की उनकी यह रिसर्च एनीमल पर आधारित थी. लेकिन अब उन्हें इसके क्लीनिकल ट्रॉयल का इंतज़ार है. इस रिसर्च का सेंट्रल नर्व सिस्टम से कोई लेना-देना नहीं है. इस रिसर्च में एक अलग और खास तरह का एंगिल रखा गया है. एक बात यह भी कि यह सिर्फ दांतों के दर्द पर ही आधारित नहीं है.

आंखों के आसपास होने वाला दर्द, नाक के पास का हिस्सा, सिर का कुछ हिस्सा भी इस रिसर्च में शामिल है. इसके लिए हम एक खास तरह की दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस रिसर्च के बाद दर्द की स्पीड को कंट्रोल किया जा सकेगा.

इंटरनेशनल जर्नल आफ मॉलिक्यूलर साइंस में प्रकाशित हुआ पेपर

डॉ. जेडए डेंटल कॉलेज के प्रोस्थोडान्टिक्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर शाइस्ता अफरोज ने अपनी कामयाबी से एएमयू का नाम रोशन किया है. उनका यह महत्वपूर्ण रिसर्च वर्क प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल आफ मॉलिक्यूलर साइंस में प्रकाशित हुआ है, जिसे वैज्ञानिकों ने सर्वश्रेष्ठ रिसर्च वर्क घोषित करते हुए बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड से सम्मानित किया है.

डॉ. शाइस्ता की यह रिसर्च प्रोफेसर योशिजुओ मात्सुका (दंत चिकित्सा संकाय, तकुशिमा यूनिवर्सिटी, जापान) के मार्गदर्शन में पूरी हुई है. शाइस्ता की इस रिसर्च को वैज्ञानिक मानकों, समग्र प्रभाव और लोकप्रियता, जर्नल के बेसिक टॉपिक, मूल विचारों और डाउनलोड किये जाने के आधार पर बेस्ट पेपर अवार्ड के लिए चुना गया.

इस रिसर्च को पूरा करने के लिए शाइस्ता ने तुकशिमा यूनिवर्सिटी की लैब में कई प्रयोग भी किए. इस ग्रुप में डॉ. शाइस्ता इंडिया से अकेली छात्र थीं. उनकी इस कामयाबी पर एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने मुबारकबाद देते हुए कहा कि यह शोध विभाग और यूनिवर्सिटी के लिए गर्व और गौरव का विषय है.