मदरसों के सर्वे पर 24 सितंबर को दारुल उलूम में चर्चा, कई आए पक्ष में

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 07-09-2022
मदरसों के सर्वे पर 24 सितंबर को देवबंद दारुल उलूम में चर्चा, कई आए पक्ष में
मदरसों के सर्वे पर 24 सितंबर को देवबंद दारुल उलूम में चर्चा, कई आए पक्ष में

 

आवाज द वॉयस /सहारनपुर

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सूबे के गैर सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने के निर्णय का जहां एक वर्ग विरोध कर रहा है, वहीं दूसरे वर्ग को इसमें कोई बुराई नहीं लगती. इस बीच उत्तर प्रदेश के देवबंद स्थित इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम ने इस मुद्दे पर 24 सितंबर को एक सम्मेलन बुलाया है.

सम्मेलन में षामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश से जुड़े 250बड़े मदरसों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है.दारुल उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा, सम्मेलन का उद्देश्य राज्य में मदरसों के सर्वेक्षण पर सरकार के हालिया निर्देश पर चर्चा और अध्ययन करना और उसके अनुसार प्रतिक्रिया देना है.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में सभी जिलाधिकारियों को गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण शुरू करने के निर्देश ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है. कई अल्पसंख्यक संगठनों ने इसे समुदाय को लक्षित करने का प्रयास बताया है.

इसके इतर कई मौलाना सरकार के इस प्रयास के समर्थन में आ गए हैं. साथ ही इस मामले में सरकार से स्थिति और स्पष्ट करने की मांग की.बरेली के मौलाना तौकीर रजा खान ने कहा, अगर सरकार मदरसों पर डेटा एकत्र करना चाहती है तो किसी को समस्या क्यों होनी चाहिए ?

हालांकि, राज्य सरकार को पहले अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए. उसे यह भी बताना चाहिए कि क्या वह मान्यता प्राप्त मदरसों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही है? जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के देवबंद स्थित संरक्षक मौलाना इशाक गोरा ने कहा, सरकार के निर्देश स्पष्ट हैं. सर्वेक्षण उन मदरसों से संबंधित है, जिनकी मान्यता नहीं है. नियमों का पालन करने वालों को डरने की कोई बात नहीं है.

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उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 16,000 से अधिक मान्यता मदरसे हैं. सरकार के मदरसों के सर्वेक्षण के निर्णय के विरोध में एक दिन पहले जमीयत उलेमा ए हिंद में एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेष के मदरसा संचालक षामिल हुए थे.