AMU : विवाद बढ़ा तो यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सिलेबस से हटाई मौलाना मौदूदी की किताबें

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-08-2022
AMU : विवाद बढ़ा तो यूनिवर्सिटी प्रषासन ने सिलेबस से हटाई मौलाना मौदूदी की किताबें
AMU : विवाद बढ़ा तो यूनिवर्सिटी प्रषासन ने सिलेबस से हटाई मौलाना मौदूदी की किताबें

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली / अलीगढ़

पाकिस्तानी इस्लामी स्कॉलर मौलाना मौदूदी की किताबों को लेकर छिड़ा विवाद अब थम गया है. बढ़ते बवाल को देखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिर्विटी प्रशासन ने इसे सिलेबस से हटा दिया. साथ ही इजिप्ट के स्कॉलर सैयद कुतुब की किताबें भी सिलेबस से बाहर कर दी गई है.

मौलाना मौदूदी और सैयद कुतुब की किताबों पर आपत्ति जताते हुए इसे हटाने की मांग करने के लिए देश के 25शिक्षाविदों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था. 27जुलाई को लिखे गए पत्र  में   कहा गया था कि विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडीज के पाठ्यक्रम में शामिल किताबें जिहाब को पढ़ावा देती हैं.

इस पत्र में उन्होंने पाकिस्तान के कट्टर इस्लामिक स्कॉलर अबुल अला मौदूदी की किताबों का जिक्र करते हुए कहा, वह जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक थे. उनकी विचारधारा पर ही इस्लामिक स्टेट की स्थापना हुई है. पत्र सामने आने के बाद जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन से बात की गई तो उन्होंने माना कि उनके यहां अबुल अला मौदूदी की किताबें बीए,एमए, एम फिल, पीएचडी के सिलेबस शामिल में हैं.

मामले के सुर्खियों में आने के बाद एएमयू प्रशासन ने अपने सिलेबस से मौदूदी की किताबें हटा दी है. साथ ही इजिप्ट के स्कॉलर सय्यद कुतुब की किताबें भी अब नहीं पढ़ाई जाएंगी. उसे भी सिलेबस से हटा दी गई हैं.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवई के मुताबिक, लेटर के बारे में चेयरमैन से बात हुई थी. इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन ने बताया कि हमारे एमए और बीए के कोर्स में इस्लाम से संबंधित बहुत सी विचारधारा है, जिसे पढ़ाई जाती है. मौलाना मौदूदी व कुतुब सईद की किताबें भी पढ़ाई जाती हैं. उनकी कंट्रोवर्सी बुक है और कंट्रोवर्सी विचारधारा है. इसके चलते फैसला किया गया कि मौलाना मौदूदी की वह किताबें हैं, जो जिहाद के मुतल्लिक हैं नहीं पढ़ाई जाएंगी.

इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन प्रोफेसर इस्माइल ने बताया कि उन्होंने बीए और एमए के सिलेबस से हटा दिया गया है. उन्होंने कहा, सिलेबस बनाने का अधिकार डिपार्टमेंट को है. कौन सी किताबें पढ़ाई जाएंगी कौन सी किताबें महत्वपूर्ण है. यह फैसला डिपार्टमेंट का है. इसके बावजूद उनकी किताबें हटा दी गई हैं.

किताब हटाए जाने पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष मसूद उल हसन ने आपत्ति दर्ज कराई है. कहा कि इस्लामिक स्टडीज विभाग ने मौलाना अबुल आला मौदूदी की किताब सिलेबस से हटा दी गई है.

कोर्स से किताबें हटाने का अधिकार यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल के पास है.एग्जीक्यूटिव काउंसिल में पास होने के बाद कोर्स को शामिल किया जाता है. फिर उसे यूजीसी को भेजकर अप्रूवल लिया जाता है. यह लंबा प्रोसेस है. पुस्तकें एक दम से हटा ठीक नहीं.

इससे पहले 25 शिक्षाविदों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर मसूद उल हसन ने कहा था कि कुछ बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें एएमयू, जामिया मिलिया इस्लामिया और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में जिहादी पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की शिकायत की गई है.

शिक्षाविदों द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के सवाल पर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रवक्ता निश्चित शर्मा ने कहा कि एएमयू शिक्षा का केंद्र है.  मौदूदी वह शख्सियत हैं जिन्होंने जमात-ए-इस्लामी की स्थापना की. इसे पीएफआई और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट भी प्रेरणा स्रोत मानते हैं.