ऐसा शिक्षा मिशन जो युवा को उज्ज्वल भविष्य के लिए कर रहा तैयार

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 25-09-2022
अल-बराकतः एक ऐसा शिक्षा मिशन जो युवाओं को उज्ज्वल भविष्य के लिए कर रहा तैयार
अल-बराकतः एक ऐसा शिक्षा मिशन जो युवाओं को उज्ज्वल भविष्य के लिए कर रहा तैयार

 

डॉ. शुजात अली कादरी /नई दिल्ली

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के करीब एक ऐसा शैक्षणिक संस्थान है, जो सूफी परंपराओं से जुड़कर समाज की सेवा कर रहा है. विशेष रूप से मुसलमानों के कमजोर वर्गों के छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ताकि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. 

उत्तर प्रदेश के एटा जिले के मारहरा शरीफ के मशहूर फारसी और हिंदी सूफी शायर सैयद शाह बरकतुल्लाह के परिवार के बुजुर्गों द्वारा स्थापित संस्था नर्सरी स्कूल, माध्यमिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज और कोचिंग सेंटर जैसे विभिन्न शिक्षण संस्थान चल रहे हैं. इन सभी संस्थानों में छात्रावास की भी सुविधा है.
 
सफर 

अल बरकत एजुकेशनल सोसाइटी की स्थापना 1995 में हुई थी. इसकी स्थापना इस संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष, सेवानिवृत्त प्रोफेसर सैयद मुहम्मद अमीन मियां बरकाती है.
 
इनके अधीन ही अल- बरकात प्ले एंड लर्न सेंटर, अल- बरकात पब्लिक स्कूल (़2), अल- बरकात कॉलेज ऑफ ग्रेजुएट स्टडीज, अल- बरकात इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अल- बरकात इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन और अल- बरकात इस्लामिक रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलते हैं.
 
भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत गारंटीकृत शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के स्पष्ट उद्देश्य के साथ, सोसाइटी ने 2004 में अल- बरकात इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की नींव रखी.
 
अल- बरकात एजुकेशनल सोसाइटी का उद्देश्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत दिए गए अधिकारों के तहत शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन करना है.
 
सोसाइटी खानकाह-ए बरकतिया, मारहरा शरीफ, जिला एटा, उत्तर प्रदेश के प्रख्यात सूफियों की परंपराओं और शिक्षाओं पर आधारित है, और उन्हीं से प्रेरित है.
 
इस परिवार का नेतृत्व खानकाह-ए-बरकतिया के सज्जाद नशीन प्रो सैयद मुहम्मद अमीन मियां करते हैं. प्रो सैयद मुहम्मद अमीन मियां उन शिक्षित लोगों में  हैं, जिनकी शिक्षा के प्रति उच्च स्तर की प्रतिबद्धता है.
 
वह इसमें गहरी रुचि रखते हैं. सोसाइटी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रख्यात विद्वानों की आभारी है कि उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संस्थानों व शैक्षिक परियोजनाओं के डिजाइन और कार्यान्वयन में अमूल्य समर्थन दिया.
 
khankah
 
सफलता

हर साल अल- बरकात के विभिन्न संस्थानों के छात्र अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सफलता हासिल करते हैं. छात्रों ने अपने कौशल का उपयोग करके कक्षा 10, 12 की परीक्षा में विशिष्ट अंक प्राप्त किए हैं.
 
संस्थान के स्नातक भारत के विभिन्न शीर्ष विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. कई छात्र अपनी पसंद की पढ़ाई कर रहे हैं. अल- बरकात के छात्र अलीगढ़, यूपी और देश भर में विभिन्न मुकाबलों और खेल गतिविधियों में नियमित रूप से भाग ले रहे हैं.
 
moulviप्रोफेसर सैयद मुहम्मद अमीन मियां के पुत्र सैयद मुहम्मद अमान मियां के अनुसार, इसका उद्देश्य छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए  तैयार करना है ताकि वह अपनी तहजीब से जुड़े रहें.
 
अल बरकत एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. सैयद मुहम्मद अमीन मियां ने कहा कि सोसाइटी का उद्देश्य बहुत बड़ा है. इसकी नींव इस लिए रखी गई है ताकि हमारे समाज के युवाओं को बेहतरीन शिक्षा मिल सके.
 
उन्होंने कहा कि इस संस्थान का संचालन करते हुए मुझे  गर्व महसूस हो रहा है. पिछले कुछ वर्षों में बच्चों के प्रशिक्षण और व्यक्तित्व विकास के क्षेत्र में अपनी निर्विवाद सेवाओं के साथ मेरे अस्तित्व का एक हिस्सा बन चूका है. संस्थान का सिद्धांत छात्रों में जागरूकता, क्षमता और कौशल विकसित करना है. 
 
खानकाहे बरकातिया 

 
खानकाहे बरकातिया कादरी सिलसिले का एक मशहूर खानकाह है. इस सिलसिले  को बरकाती सिलसिले के नाम से जाना जाता है. इसकी शुरुआत बिलग्राम, में हुई.
 
इस सिलसिले का नाम शाह बरकतुल्लाह, मारहरा के नाम पर है. फिलहाल मारहरा के बुजरुग और इस खानकाह के अकीदतमंद कादरी बरकती के नाम से जाने जाते हैं. यह बगदाद के कादरी सिलसिले की एक उप-शाखा है.
 
शाह बरकतुल्लाह मीर सैयद अब्दुल जलील वास्ती बिलग्रामी (जन्म 13 शव्वाल 1071 हिजरी) के पोते मूल रूप से भारत में चिश्ती सिलसिले का पालन करते थे. हालांकि, कालपी के अपने सफर पर, सैयद शाह फजलुल्लाह ने उन्हें कादरी सिलसिले में दाखिल कर लिया.
 
एक बहुमुखी कवि, शाह बरकतुल्लाह ने बुर्ज और फारसी दोनों भाषाओं में लिखा. बुर्ज में प्रेम प्रकाश नामक उनका लेखन हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के ध्यान का केंद्र रहा है. दीवान-ए-इश्की फारसी, उर्फ-ए-इश्की मारहरवी के नाम से दीवान का एक संग्रह है.
 
वह मुगल बादशाह औरंगजेब आलमगीर के शासनकाल के दौरान भारतीय सूफीवाद के एक महत्वपूर्ण रूहानी शख्शियत थे.
 
उनके सबसे बड़े बेटे, शाह आले मुहम्मद ने खुद को अल्लाह की इबादत व बंदों की खिदमत के लिए समर्पित करके अपने परिवार की परंपराओं को जारी रखा. उनके बेटे सैयद शाह हमजा, मारहरा के तीसरे कुतुब हैं.
 
उन्होंने  विभिन्न इस्लामी विषयों पर कई मजमून लिखे, जिनमें काशिफ उल -इस्तारा और फसल उल दृकलमात सबसे मशहूर हैं.शाह हमजा के पुत्र सैयद शाह अली अहमद करिश्माई व्यक्तित्व के मालिक थे. शाह अमीर आलम के बड़े भाई, सैयद शाह आले रसूल अहमदी, आला दर्जे के रूहानी बुजुर्ग थे.
 
उनके बाद हजरत शाह अबुल हुसैन अहमद नूरी (उर्फ मियां साहिब) थे जो मारहरा खानदान के आखिरी कुतुब थे. हजरत नूरी मियां के  उत्तराधिकार उनके चचेरे भाई सैयद शाह मेहदी हसन बने. निजाम हैदराबाद, फर्रुखाबाद के नवाब और रामपुर के नवाब जैसी रियासतों के शासक उनका सम्मान करते थे.
 
इस सिलसिले को व्यापक रूप से सैयदुल उलेमा सैयद शाह आले मुस्तफा सैयद मारहरवी और अहसनुल उलमा सैयद शाह मुस्तफा हैदर हसन मारहरवी ने बहुत शोहरत दी.
 
मारहरा के सैयद मियां भी अपने समय के आलिम और मुफ्ती थे. अजमेर और लाहौर से इस्लामिक स्टडीज में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. संपत्ति विवादों और तलाक के मामलों के समाधान के लिए उनके फतवे बॉम्बे हाईकोर्ट में जमा किए गए थे.
 
वह मुंबई में बकर कसाब जमात के सामुदायिक काजी के साथ उसके इमाम भी थे. वह मारहरा में दरगाह शाह बरकतुल्लाह के संरक्षक थे. उन्होंने देश के लगभग हर क्षेत्र का दौरा किया.
 
लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश दिया. उन्होंने मुकद्दस खातून, नई रौशनीऔर फैज-ए-तंबीह सहित तीन किताबें लिखीं. सैयद मियां दाग देहलवी के पसंदीदा शिष्य उर्दू के एक महान कवि थे जो उनके चाचा हजरत अहसन मारहरवी से विरासत में मिला था.
 
सैयदुल उलमा के छोटे भाई सैयद शाह मुस्तफा हैदर हसन मारहरवी थे. वह हजरत सैयद शाह इस्माइल हसन साहिब मारहरवी और हजरत सैयद शाह मुहम्मद मियां मारहरवी के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी थे.
 
अहसनुल उलमा, हजरत हसन मियां कादरी सज्जाद नशीन थे. उन्होंने खालिस खानकाही निजाम कायम की. अपनी तकरीरों से इस्लाम और सुन्नत का संदेश फैलाया.
 
उनहोंने कई  मजहबी और दुनियावी शिक्षा के विभिन्न संस्थानों का संरक्षण दिया. उनके चार बेटे हैं. पहले सैयद मुहम्मद अमीन मियां कादरी (पूर्व प्रोफेसर, एएमयू, अलीगढ़)य दुसरे, सैयद मुहम्मद अशरफ मियां कादरी आईआरएस (आयकर आयुक्त, दिल्ली)य तीसरे  (मरहूम )आईपीएस सैयद मुहम्मद अफजल मियां कादरी (एडीजी, एमपी) और चौथे सैयद मुहम्मद नजीब हैदर कादरी (सज्जादा नशीन खानकाहे बरकातिया नूरी गद्दी) हैं.
 
(लेखक मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के चियरमैन और कम्युनिटी लीडर हैं)