राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-मथुरा
रसखान और ताज बीबी की मकबरे को लंबे समय से बिसरा दिया गया था, अब उनका उप्र के पर्यटन विभाग ने एक ओपन एयर थिएटर बनाकर पर्यटक परिसर के रूप में पुनर्विकास किया है. मथुरा में गोकुल की जंगली गलियों के बीच रसखान और ताज बीबी के भूले-बिसरे मकबरे हैं, जो यकीनन भगवान कृष्ण के दो सबसे प्रसिद्ध मुस्लिम भक्त हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कृष्ण जन्मभूमि को राज्य में एक प्रमुख तीर्थ पर्यटन स्थल के रूप में बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है, इन दफन स्थलों के पुनर्विकास को प्राथमिकता दी गई है. अब तक उपेक्षित दो कब्रों के आसपास 14 एकड़ का परिसर विकसित किया गया है.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य पर्यटन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह निर्णय आजकल देश में सांप्रदायिक सौहार्द की चर्चा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. सूत्र ने कहा, ‘‘यहां कृष्ण के दो व्यापक रूप से सम्मानित मुस्लिम भक्त और प्रतिष्ठित कवि हैं. हम चाहते थे कि उन्हें फिर से खोजा जाए.’’
रसखान या सैयद इब्राहिम खान 16वीं शताब्दी के सूफी मुस्लिम कवि थेख् जिनका जन्म या तो उत्तर प्रदेश के अमरोहा या हरदोई में हुआ था. बाद में वे कृष्ण के अनुयायी बन गए थे और उन्होंने अपना जीवन वृंदावन में बिताया.
इसी तरह ताज बीबी को ‘मुगल मीराबाई’ के नाम से भी जाना जाता है. वो एक मुस्लिम रईस की बेटी थी, जिन्हें मुगलों ने गोकुल क्षेत्र की रक्षा के लिए नियुक्त किया था.
राज्य द्वारा संचालित ब्रज तीर्थ विकास परिषद के एक प्रकाशन के अनुसार, ‘‘ताज बीबी ने मुगल काल के दौरान कविताएं लिखी थीं, जबकि शासक वर्ग मुस्लिम धर्म का था. उन्होंने कलमा कुरान का पाठ छोड़कर और यह घोषणा करके कि वह एक हिंदू भक्त हैं, बहुत बड़ा साहस दिखाया था.’’
रसखान समाधि स्थल
अधिकारी ने कहा कि ब्रज (मथुरा-वृंदावन) क्षेत्र में विकसित होने वाले पहले तीर्थ पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मकबरा परिसर प्रस्तावित किया गया था और मुख्यमंत्री परियोजना के बारे में उत्साहित थे, जिसके लिए धन तुरंत उपलब्ध करवाया गया था.
योगी आदित्यनाथ ने इसके पूरा होने के बाद साइट का दौरा किया, जैसा कि मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने किया है. परिसर में एक ओपन एयर थिएटर, एक फिल्म केंद्र और एक फूड कोर्ट शामिल है.
ओपन एयर थिएटर लगभग 500 लोगों की मेजबानी कर सकता है, जो रसखान और ताज बीबी के जीवन और कार्यों पर शो आयोजित करेगा. फिल्म स्टूडियो में 50 दर्शकों की मेजबानी करने की क्षमता है.
प्रशासन रोज छह-सात बार रास खां पर स्पेशल डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कर रहा है. परिसर में हर दिन लगभग 2,000-3,000 आगंतुक आते हैं. ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकज वर्मा ने कहा, ‘‘परियोजना की कुल लागत लगभग ₹10 करोड़ थी. परिषद तीर्थ स्थान के रूप में ब्रज क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए समर्पित है.’’
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के अलावा, इस क्षेत्र को फिर से जीवित कर दिया गया है क्योंकि यह नशा करने वालों और छोटे अपराधियों के लिए एक आश्रय स्थल बन गया था.
ताज बीबी की समाधि, जो पूरी तरह से जर्जर अवस्था में थी, पर अतिक्रमण कर लिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि ब्रज में ऐतिहासिक रूप से और भी कई ऐसे महत्वपूर्ण स्थल हो सकते हैं, जिनका पर्यटकों को बेहतर बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराकर पुनर्विकास करना होगा.
ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजा कांत मिश्रा ने कहा, ‘‘मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में, अकेले बांके-बिहारी मंदिर में हर साल लगभग 2.72 करोड़ तीर्थयात्री आते हैं. यदि हम आगंतुकों को आवश्यक आधारभूत संरचना प्रदान करते हैं, तो हम उन्हें रात्रि विश्राम के लिए भी रुकने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन के लिए भी एक बड़ा बढ़ावा होगा.’’