बर्धमान. भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में कई अद्वितीय कहानियां शामिल हैं, जो विभिन्न समुदायों के बीच आपसी भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक हैं. ऐसी ही एक अनोखी और प्रेरणादायक कहानी पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले के मेमारी के तकतीपुर गांव में स्थित हनुमान मंदिर की है. इस मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी मुस्लिम समुदाय के लोग निभाते हैं. यह कहानी न सिर्फ सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक विविधता और एकता की मिसाल भी पेश करती है.
मंदिर की स्थापना और इतिहास
तकतीपुर गांव में स्थित इस हनुमान मंदिर की स्थापना एक मुस्लिम व्यक्ति मेहर अली ने की थी. इस मंदिर में हर शनिवार और मंगलवार को नियमित रूप से पूजा की जाती है. साथ ही, यहां हर रोज पूजा की जाती है.
हिंदू-मुस्लिम खाते हैं खिचड़ी
यह परंपरा पिछले कुछ वर्षों से चली आ रही है, और इस मंदिर में हर साल बड़े धूमधाम से उत्सव भी मनाया जाता है. इस अवसर पर दोनों समुदायों के लोग एक साथ बैठकर खिचड़ी खाते हैं, जो सामूहिकता और भाईचारे का प्रतीक है.
एक दुर्घटना और सांप्रदायिक सौहार्द
इस कहानी की शुरुआत पांच साल पहले हुई, जब हनुमान नामक एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. यह घटना मेमारी थाने के तकतीपुर गांव की है. हनुमान की मौत के बाद, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया. इस पहल के पीछे मेहर अली की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने बाद में इस जगह पर बजरंगबली का मंदिर बनवाया. तभी से मेहर अली मंदिर की पूजा और देखभाल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
धार्मिक एकता और सहयोग
इस इलाके में मुस्लिम समुदाय की बहुलता है, लेकिन धार्मिक मतभेदों को भुलाकर सभी समुदाय के लोग मिलकर इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. मेहर अली बताते हैं कि इस मंदिर में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग शामिल होते हैं और पूजा करते हैं. मंदिर की दैनिक सेवा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं और दूर-दूर से भी लोग इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.
सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण
26 जुलाई, 2018 को हुई इस दुर्घटना ने गांव में सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल पैदा कर दिया. हनुमान नामक व्यक्ति की मृत्यु के बाद, गांव के सभी समुदायों के लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. गांव के हिंदुओं ने रीति-रिवाज के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया. उनकी समाधि पर एक वेदी बनाई गई और बजरंगबली की तस्वीर रखकर पूजा शुरू की. फिर हनुमान मंदिर बनाने की पहल की गई. इस पहल में स्थानीय ग्राम पंचायत सदस्यों और इस अल्पसंख्यक गांव के मुस्लिम समुदाय ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मंदिर निर्माण में मदद की.
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
इस मंदिर की स्थापना और इसके पीछे की कहानी धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है. यह घटना दर्शाती है कि कैसे विभिन्न धर्मों के लोग मिलकर शांति और सौहार्द का माहौल बना सकते हैं. यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आपसी सम्मान और सहयोग का एक जीता-जागता उदाहरण भी है.
सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द
तकतीपुर गांव का यह हनुमान मंदिर एक अनोखा उदाहरण है, जो धार्मिक सहिष्णुता, सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी सहयोग की मिसाल पेश करता है. इस मंदिर की कहानी हमें यह सिखाती है कि धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं के बावजूद हम सभी एक साथ मिलकर शांति और भाईचारे का माहौल बना सकते हैं. हनुमान मंदिर की यह कहानी सिर्फ एक धार्मिक स्थल की नहीं, बल्कि मानवता और सहयोग की कहानी है, जो हमें एक बेहतर समाज बनाने की प्रेरणा देती है.
इस तरह, बर्धमान का यह हनुमान मंदिर हमें याद दिलाता है कि सच्ची धार्मिकता और पूजा-अर्चना का अर्थ सिर्फ अपने धर्म के नियमों का पालन करना नहीं, बल्कि सभी धर्मों के प्रति सम्मान और प्रेम रखना भी है.