भूकंप की तबाही का अफगानिस्तान से है पुराना रिश्ता

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 22-06-2022
भूकंप की तबाहीका अफगानिस्तान से है पुराना रिश्ता
भूकंप की तबाहीका अफगानिस्तान से है पुराना रिश्ता

 

मेहमान का पन्ना 

 हरजिंदर

अफगानिस्तान का इतिहास जिन त्रासदियों से भरा पड़ा है उनमेंएक भूकंप भी है. इस मुल्क काइतिहास जिस समय से उपलब्ध है, यहां आने वालेभूचाल के उसके पहले के भी बहुत से रिकॉर्ड मौजूद हैं. वैज्ञानिकों ने 800 ईसा पूर्व से भीपहले के बहुत से ऐसे भूकंपों का पता लगाया है जिन्होंने इस सरजमीं को बहुत बुरीतरह हिला दिया था. हालांकि इससे कितना और कैसा नुकसान हुआ यह बातअतीत के पन्नों में कहीं दर्ज नहीं है.

भूकंप को दर्ज करने का काम तो वहां हाल-फिलहाल ही शुरू हुआहै. एक लंबे समय तकऐसा हुआ है कि अफगानिस्तान में आने वाले भूकंपों की खबर दुनिया को भारत और रूस मेंदर्ज होने वाले आंकड़ों से ही मिल पाती थी. तब अफगानिस्तान में भूकंप की तीव्रता को मापनेकी कोई व्यवस्था नहीं थी.

भूकंप की खबर अफगानिस्तान से हर कुछ साल बाद आ ही जाती है. अफगानिस्तान को दुनिया कि उन इलाकों में गिना जाताहै जहां भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है. खासकर हिंदुकुश इलाके को जहां रिचर स्केल पर आठ तक केभूकंप दर्ज किए गए हैं. अफगानिस्तानयूरेशियन टैक्टोनिक प्लेट के दक्षिणी सिरे पर बसा हुआ है.

यही वो जगह है जहां यूरेशियन प्लेट भारतीय प्लेट सेभी टकराती है, अरब की प्लेट से भी और ईरान की प्लेट से भी. इसी इलाके में जमीन के नीचें की परतों में तमाम छोटीबड़ी फाॅल्टलाइन भी हैं जो हर कुछ समय बाद इस देश को हिलाती रहती हैं.

इन भूकंपों का जिक्र अफगानिस्तान के राजनीतिक इतिहास में भीजगह-जगह आता है. मध्ययुग मेंलिखी गई तमाम किताबों में इसका जिक्र है. बाबरनामा में खुद मुगल बादशाह बार-बार इसके बारे में बातकरते हैं. 1505 की एक घटना का जिक्र करते हुए वे बताते हैं कि वे कुश-नादरमें थे कि तभी भूकंप आ गया, वह इतना तेज था कि किले व बाग की दीवारें गिर गईं. आगे वे एक दूसरी जगह लिखते हैं कि वे बीमार थे औरफिर भूकंप आ गया, इसके कारण उन्हें कंधार जाने की अपनी योजना स्थगितकरनी पड़ी.

इसी तरह इतिहास में जिक्र आता है 1880 के भूकंप का. तब अफगानिस्तान में मुहम्मदजई का शासन था। उसने लोगों परलगने वाले टैक्स दो तीन गुना तक बढ़ा दिए थे. अर्थव्यवस्था का बुरा हाल होने के कारण महंगाई बेतहाशा बढ़गई थी। और ठीक इसी समय भूकंप आया जिसने तबाही को बहुत बढ़ा दिया.

इसी तरह का एक भूकंप तब आया था जब दूसरा अफगान ब्रिटिशयुद्ध चल रहा था। तब अकबर खान के बहुत सारे ब्रिटिश लोगों और भारतीय सैनिकों कोबंदी बनाकर एक पहाड़ी किले में कैद कर दिया था। इसी समय भूकंप आ गया और किले कीदीवार टूट गई. अकबर खान ने इसेकुदरत की मर्जी माना और सभी को रिहा कर दिया.

राजनीति दृष्टि से एक और महत्वपूर्ण भूकंप रहा अप्रैल 1976 का. उस समयपाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कई मुद्दों पर काफी तनाव था. दोनों देशों का मीडिया एक दूसरे के खिलाफ आग उगल रहाथा. भूकंप आया तोलाखों लोग बेघरबार हो गए. ऐसे मेंपाकिस्तान ने काफी मदद की.

इसके बाद दोनोंका रुख एक दूसरे के प्रति नरम हो गया. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान का शुक्रिया कहा और पाकिस्तान केप्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने पाकिस्तानी प्रेस से अपील करते हुए कहा किवे अफगानिस्तान के खिलाफ खबरें छापना बंद कर दें.

लेकिन यह 2015 का भूकंप थाजिसने पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया था. उस समय वहां अमेरिका की फौज जमी हुई थी इसलिएइसका विस्तार से अध्ययन भी हुआ. हिंदुकुश इलाकेमें आए 7.5तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र धरती से 213 किलोमीटर नीचे था.

आमतौर पर भूकंप का केंद्र इतनी गहराई में नहीं होता. इससे यह माना गया कि अफगानिस्तान का मामला सिर्फटैक्टोनिक प्लेट का ही नहीं है. उनके बहुत नीचेभी कुछ हलचलें हैं जो अफगानिस्तान को परेशान कर रही हैं.

यह सच है कि अफगानिस्तान के पूरे इतिहास में भूकंप के कारणजनधन का काफी हानि होती रही है. लेकिन यह उसनुकसान के मुकाबले कुछ भी नहीं है जो अफगानिस्तान को अपने पूरे इतिहास के दौरानजंग के मैदान में उठाना पड़ा है.

अकेले चंगेज खानकी सेना ने वहां जितने  लोगों का कत्ल किया, जितने घरों कोउजाड़ा, उतना अत्याचार तो वहंा आए तमाम भूकंपों ने भी नहींकिया होगा. अफगानिस्तान परराज करने और वहां हमला करने वाले तमाम तानाशाहों के मुकाबले तो शायद वहां आने वालेभूकंपों ने नरमी ही बरती है. 

 ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह उनके विचार हैं. )