आजादी की पहली क्रांति में मेवात के दस हजार से ज्यादा हुए थे शहीद

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 04-08-2023
आजादी की पहली क्रांति में मेवात के दस हजार से ज्यादा हुए थे शहीद
आजादी की पहली क्रांति में मेवात के दस हजार से ज्यादा हुए थे शहीद

 

यूनुस अलवी / मेवात

1857 के देश की आजादी के पहले संग्राम में मेवात के बहादुरों ने बढ़-चढ़ कर भाग ही नहीं लिया, बल्कि अंग्रेजों के फेरजर जैसे कई बड़े-बड़े अधिकारियों का कत्ल भी किया. आजादी की जंग में जहां देश के हजारों वीरों ने अपनी कुर्बानी दी, वहीं मेवात इलाके के दस हजार से अधिक लोग शहीद हुए.

अग्रेजों के प्रतिशोध की आग भले ही देश के अन्य हिस्सों में जल्द शांत हो गई, लेकिन मेवात में अंग्रेजों ने 8नवंबर 1857से 7दिसंबर 1858तक सैकड़ों गांवों में जमकर खून की होली खेली. इस दौरान हरियाणा के मेवात इलाके के करीब 10हजार बहादुर अपना खून बहाकर भारत मां की इज्जत बचाने के लिए शहीद हुए. वहीं 19 नवंबर 1857 को अकेले रूपड़ाका गांव के 425 लोग शहीद हुए थे.

गुस्साए अंग्रेजों ने तीन दर्जन से अधिक गावों में आग लगाकर तहस-नहस कर दिया था. कई गावों की जमीनें छीन कर उनको बेदखल कर दिया गया था, जिनको आज तक जमीनें वापस नहीं मिली हैं.

मेवातियों को मिटाने के लिए अंग्रेजों ने अपनाए हर हथकंडे

देश के जांबाजों में आपसी तालमेल न होने और देश के गद्दार लोगों की वजह से अंग्रेजों ने दोबारा से दिल्ली पर 20सितंबर, 1857को अपना अधिकार जमा लिया था. दोबारा दिल्ली पर अपना अधिकार जमाने के बाद अंग्रेजों ने मेवातियों का नामो-निशान मिटाने के लिए हर हथकंडे अपनाए.

दिल्ली के नजदीक होने के कारण अंग्रेजों को सबसे ज्याद खतरा केवल मेवातियों से ही था. अंग्रेजों की ओर से सबसे निपुण और क्रूरता के लिए जाने-जाने वाले फौजी अफसरान सावर्ज, डूमंड, हडसन, कैप्टन रामसे, किली फोर्ड, होर्सेज, लेफ्टिनेंट रांगटन को भारी फौज, गोला बारूद और तोपखानों के साथ मेवात भेजा गया.

19 नवंबर 1857 को मेवात के बहादुरों को कुचलने के लिए बिग्रेडियर जनरल स्वराज, गुड़गांव रेंज के सह उपायुक्त कैली फोर्ड और कैप्टन डूमंड के नेतृत्व में टोहाना, जींद बलाटिनों अलावा भारी तोपखाना सेनिकों के साथ मेवात के रूपडाका, कोट, चिल्ली, मालपुरी पर जबरदस्त हमला बोल दिया. इस दिन शहीद हए करीब 600 लोगों में से अकेले रूपड़ाका गांव के 425 मेवाती बहादुर थे, जिनका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया.

मेवात में अंग्रेजों का कहर

अंगेजों की इस दमनकारी योजना का कहर मेवात में 8नवंबर 1857को घासेड़ा में 157को शहीद करके शुरू हुआ, जो 7दिसंबर 1858तक चला. अंग्रेजी फौज ने 19नवंबर को रूपड़ाका में 425, पहली जनवरी 1858को होडल गढ़ी में किशन सिंह और किशन लाल जाट सहित 85, दो जनवरी, 1858 को हसनपुर में चांद खां, रहीम खां, 6 जनवरी को सहसोला में फिरोजखां मेव सहित 12, बड़का में खुशी खां मेव सहित 30, नूंह में 18, ताऊडू में 19, जनवरी 1858को महूं तिगांव में बदरुद्दीन सहित 73लोगों को शहीद कर दिया था.

इसी तरह 9 फरवरी, 1858 में अडबर, नंगली के धनसिंह मेव सहित 52 लोगों को पेड़ों पर लटकाकर फांसी दे दी गई थी. फरवरी में गांव कोंड़ल, गहलब और अहरवा में 85 को, 16 फरवरी को गांव तुसैनी के मलूका नंबरदार सहित उसके परिवार के 11 सदस्य और 22 फरवरी को आकेडा के हस्ती सहित 3लोगों को शहीद कर दिया गया.

इन गांवों में अंग्रजों ने जमकर बरपाया कहर

मार्च 1858 में अंग्रेजों ने मेवात के गांव घाघस, कंसाली, सेल, नगीना, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, मांडीखेड़ा, बल्लभगढ़ में जमकर कहर बरपाया. 24मार्च को पुन्हाना के घीरी मेव सहित 283और 29मार्च को गांव घाघस कंसाली में गरीबा मेव सहित 61, सेल गांव में हननु सहित 5, फिरोजपुर झिरका में इसराइल, केवल खां सहित 24, मांडीखेड़ा, नगीना में उदय सिंह, सावंत सहित 91, बल्लभगढ़ में 35सहित सैकड़ों को शहीद कर दिया गया.

संभलने से पहले ही अंग्रेजों ने बोला हमला

देश के कुछ गद्दारों ने दिल्ली में सूचना भिजवाई कि हजारों मेवाती हथियारों के साथ गांव पिनगवां, महूं, बाजीदपुर और सोहना में मौजूद हैं, तो अंग्रेजों ने मेवातियों के संभलने से पहले ही इन गांवों पर भारी तोपखाने के साथ हमला बोल दिया. 27 नवंबर 1858 को कस्बा पिनगवां में 27और महूं के सदरुददीन सहित आसृ-पास के 170 को शहीद कर दिया गया. दिसंबर सात को बाजीदपुर के आसपास के 161और सोहना के 34लोगों को मौत के घाट उतार दिया.

शहीदों के नाम से हो स्कूलों और सड़कों का नामकरण

अखिल भारतीय शहीदाने मेवात सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरफुद्दीन मेवाती का कहना है कि ऊपर दी गई जो शहीदों की सूची है. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर बड़ी मेहनत और इतिहासकारों को साथ लेकर तैयार की हैं. भले ही हरियाणा के रिकार्ड में इनकी संख्या कम है, लेकिन शहीद होने वालों की संख्या दस हजार से ज्यादा है.

सरफुद्दीन का कहना है कि हरियाणा सरकार को चाहिए कि 1857 के हजारों गुमशुदा शहीदों की जानकारी निकाली जाए और सभी शहीदों की याद में सभी गावों में शहीदी मिनार बनाई जाएं. मेवात के स्कूलों और सड़कों का नामकरण शहीदों के नाम से किया जाए, जिससे आने वाली नसलें उन बहादुरों से प्रेरणा ले सकें.

उन्होंने कहा मेवात विकास अभिकरण के सहयोग से नगीना, नूंह, महूं आदि गावों में शहीदी मीनार तो बनी है, लेकिन उनकी देखभाल करने वाला कोई न होने से आज वे खंडहर होती जा रही है.