डंडीगुल. यहां राउंड रोड पुदूर में श्री शक्ति संतान गणेशर मंदिर में मंगलवार को आयोजित मीनाक्षी-सुंदरेश्वरर विवाहोत्सव में मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने वधू पक्ष की ओर से मायरा यानी भात भरकर धार्मिक सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश की.
उल्लेखनीय है कि माता पार्वती का एक स्वरूप मीनाक्षी अम्मा हैं. मीनाक्षी का अर्थ है, जिसकी आंखें मछली यानी मीन के समान हों. माता मीनाक्षी भगवान शिव की पत्नी पार्वती का अवतार और भगवान विष्णु की बहन मानी जाती हैं. मान्यता है कि भगवान शिव अपने सुंदरेश्वर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरै आए थे. राजा मलध्वज ने कठोर तपस्या के बाद मां पार्वती के आशीर्वाद से मीनाक्षी को पुत्री के रूप में प्राप्त किया था.
पत्रिका न्यूज के अनुसार, सबसे अमीर मंदिरों में से एकइस मंदिर का कुंभाभिषेकम पिछले साल हुआ था. कुंभाभिषेक हुए एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मंदिर में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं श्री परमेश्वरी समेत परमेश्वर, श्री विष्णु दुर्गा, श्री दक्षिणामूर्ति, श्रीलिंगोद्भवर व श्री चंडीकेश्वरर कालभैरवर की विशेष पूजा अर्चना और अभिषेक हुआ. साथ ही मंदिर परिसर में मीनाक्षी सुंदरेश्वर तिरुकल्याण समारोह हुआ.
इसमें दुल्हन के मायके की ओर से मुस्लिम समुदाय के गणमान्य प्रतिनिधि शामिल हुए और मायरा भरा. वे अपने हाथों में पुष्प मालाओं, कंगन, मंगलसूत्र, वस्त्रों और फलों के साथ उपिस्थत हुए. कल्याणोत्सव की व्यवस्था मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोगों ने की.
मुस्लिम समुदाय की ओर से पुदुर जुम्मा मस्जिद के अध्यक्ष इस्माइल, सचिव मोहम्मद रफीक, कोषाध्यक्ष मोहम्मद हाउज, 18वें वार्ड के पार्षद मोहम्मद सिद्दीकी और कई अन्य लोगों ने विवाहोत्सव में भाग लिया. शिवाचार्यों के वैदिक अनुष्ठान और मंत्रोच्चार के साथ विवाहोत्सव संपन्न हुआ.
इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया. विवाहिताओं ने पीले धागे वाला मंगलसूत्र बदला. विवाहोत्सव के दौरान वाद्ययंत्रों से शुभ संगीत बजता रहा. इसी तरह डिंडीगुल जिले के नथम-कोविलपट्टी के कैलाशनाथर-षणबगवल्ली अम्मन मंदिर, जो चौदह सौ साल पुराना है, का रथोत्सव आयोजित हुआ.
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