कोलकाता के मोहम्मद तौसीफुर रहमान की टीम ने क्यों किया दुर्गा पूजा का आयोजन ?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 13-10-2021
पंडाल में दुर्गा पूजा के प्रमुख आयोजक मोहम्मद तौसीफुर रहमान अपनी टीम के साथ
पंडाल में दुर्गा पूजा के प्रमुख आयोजक मोहम्मद तौसीफुर रहमान अपनी टीम के साथ

 

मुहम्मद सफी शम्सी / कोलकाता

कोलकाता का सांप्रदायिक सद्भाव की एक मिसाल है. हर त्योहार इस धरती पर किसी न किसी रूप में सांप्रदायिक सौहार्द पेश करता है. इस बार चल रही दुर्गा पूजा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है. दरअसल, मुस्लिम युवाओं के एक समूह ने कोलकाता के मुस्लिम बहुल अलीमुद्दीन स्ट्रीट के किनारे दुर्गा पूजा समारोह फिर से शुरू कर दिया है. 15साल बाद होने वाली पूजा अलीमुद्दीन स्ट्रीट में रहने वाले कुछ हिंदू परिवारों के लिए किसी उपहार से कम नहीं.

दुर्गा पूजा  के एक उत्साहित प्रमुख आयोजक मोहम्मद तौसीफुर रहमान ने बताया, “हेनरी भाई (भाई), शकील रफीक, अब्दुर रहमान, इमरान, मुन्ना भाई, वसीम, शब्बीर, जयंतो दा, मंटू दा, हम लगभग दस लोग हैं, जिन्होंने यह आयोजन किया है. लोग (यहां) विश्वास नहीं कर रहे हैं कि ये अल्पसंख्यक बहुल इलाका है.”

यह महासप्तमी की शाम (मंगलवार) है, जो 10-दिवसीय दुर्गा पूजा समारोह का सातवां दिन है. 15साल बाद अलीमुद्दीन स्ट्रीट के किनारे इस जगह पर एक पंडाल बनाया गया है. तौसीफ इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों की आवभगत में लगे हुए हैं. आगंतुक सभी क्षेत्रों से हैं.

थोड़ी चिंता थी

मेहमानों के जाने के बाद तौसीफ को बात करने का समय मिल पाता है. वे कहते हैं, “मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं और राजनीति में भी. लेकिन हम जो कर रहे हैं, वह राजनीतिक नहीं है. राजनीति के लिए मेरे सामने सालों-साल हैं. मैं आज बहुत नर्वस था, यह सोचकर कि यह उत्सव कैसा रहने वाला है, क्योंकि हम इसे 15साल बाद पुनर्जीवित कर रहे हैं.”

हिंदू परिवारों का मन था

तौसीफ बताते हैं कि यहां मुस्लिम युवाओं द्वारा दुर्गा पूजा उत्सव का पुनरुद्धार मुस्लिम पड़ोस में तीन हिंदू परिवारों से संबंधित है. पहले यहां करीब दस परिवार रहते थे. अधिकांश वर्षों पहले बाहर चले गए. तौसीफ कहते हैं, “जब परिवार चले गए, तो पूजा आयोजित करने वाला कोई नहीं बचा था. उनके एक हिंदू पड़ोसी ने समारोह शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले उनसे संपर्क किया और पूछा कि क्या इतने सालों के बाद पूजा आयोजित करना संभव है. यह हमारे पड़ोसियों के लिए एक उपहार है. मेरा मानना है कि इस साल और इस बार मां ने हमें और इस जगह को एक बार फिर चुना है.”

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दुर्गा पूजा के मंच पर मोहम्मद तौसीफुर रहमान और पूजा करते श्रद्धालुजन

कोलकाता के अधिकांश युवाओं के लिए यह उत्सव आनंद का अवसर होता है. तौसीफ बताते हैं, “दुर्गा पूजा, मेरे लिए, एक सांस्कृतिक अवसर है. लजीज खाना, पंडाल में उछलना-कूदना, दोस्तों से मिलना, बस यही है जिंदगी. मेरे परिवार ने मुझे सिखाया है कि तुम घर में मुसलमान हो. आप धर्म का प्रचार उन्हीं को करते हैं, जो इसके बारे में जानना चाहते हैं. मैं अलीमुद्दीन स्ट्रीट में पला-बढ़ा हूं. मैंने अमेरिका, रूस और स्पेन की यात्रा की है. मुझे शांति से और एकता के साथ रहना सिखाया गया है.”

व्यवस्था हिंदू रीति-रिवाजों से

पूजा आयोजित करने का निर्णय देर से, सितंबर के अंत में हुआ. हालांकि आयोजकों का सहयोग मिला. जहां मुस्लिम बाशिंदों ने सारे इंतजाम कर लिए और पूरी व्यवस्था को हिंदू रीति-रिवाजों को अंजाम दे रहे हैं.

इस साल कॉलेज से स्नातक करने वाले एक स्थानीय निवासी सायंतो सेन कहते हैं, “मैं पाँच साल का था, जब हमने आखिरी बार पूजा की थी. मुझे अस्पष्ट याद है. हमारे यहां अन्य सभी त्योहार मनाए गए हैं. मेरे पिताजी ने संपर्क किया और अनुरोध किया कि क्या पूजा का आयोजन किया जा सकता है. उन्होंने (आयोजकों ने) सब कुछ किया है. हम अनुष्ठानों का ध्यान रख रहे हैं.”

एक अन्य स्थानीय निवासी अब्दुल रहमान आयोजन दल का हिस्सा हैं. उन्हें लगता है कि इस तरह के प्रयास केवल बंगाल की संस्कृति को दर्शाते हैं. रहमान कहते हैं, “संदेश यह है कि धर्म एक कारक नहीं है (यहां). ईद पर दूसरे धर्मों के मेरे दोस्त मुझसे लच्छा और सेवईं मांगते हैं. अपने पड़ोसियों के चेहरे पर खुशी देखकर हमें अच्छा लगता है. आने वाले दिनों में, यदि संभव हुआ तो, हम इसे और बड़ा करने की कोशिश करेंगे.”