दशहरा स्पेशलः मुस्लिम समाज के लोग रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर की करते हैं अगुवाई

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
दशहरा स्पेशलः मुस्लिम समाज के लोग रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर की करते हैं अगुवाई
दशहरा स्पेशलः मुस्लिम समाज के लोग रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर की करते हैं अगुवाई

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

गोरखपुर के गोरक्षपीठ में सबको सम्मान देने की परंपरा शामिल है. अनादिकाल से चली आ रही यह परिपाटी विजयादशमी के दिन सकार होती दिखती है. इस दिन न सिर्फ मुस्लिम समाज के लोग रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई करते हैं. बल्कि जरूरत पड़ने पीठाधीश्वर इनके लिए इनके सुख-दु:ख में खड़े रहते हैं.

दो उदाहरणों से इस बात का पता चलता है. करीब तीन दशक से गोरखनाथ मंदिर को काफी नजदीक से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय बताते हैं कि फरवरी 2014 में तबके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की एक रैली गोरखपुर में होनी थी. फर्टिलाइजर मैदान में जगह न मिलने के कारण उसी से सटे मानबेला में गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था. समय कम था और सामने मौसम के साथ दो बड़ी चुनौतियां. पहली उस जमीन के आसपास के गांव मानबेला, फत्तेपुर और नौतन आदि अल्पसंख्यक बहुल आबादी के थे, दूसरा उस जमीन को रैली के लिए तैयार करना.

यह जगह फर्टिलाजर कारखाने के पूरबी गेट के पास ही थी. योगी की यह चिंता जब उर्वरक नगर के पार्षद मनोज सिंह तक पहुंची, तब उन्होंने गांव के गणमान्य लोगों से बात की. उनकी पहल पर मानबेला के बरकत अली की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल ने योगी से मुलाकात की. उनको भरोसा दिलाया कि वह रैली की तैयारियों में हर संभव मदद करेंगे. साथ ही बढ़चढ़कर हिस्सा भी लेंगे.

यही हुआ भी, बाद में देश के बड़े अखबारों में यह खबर सुर्खियां बनीं.

दूसरी घटना भी करीब दशक पहले की ही है जब एक मुस्लिम दर्जी पर हमले के विरोध में योगी आदित्यनाथ धरने पर बैठ गए थे. गोरखपुर के सबसे व्यस्ततम बाजार गोलघर में बदमाशों ने इस्माईल टेलर्स की दुकान पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर पूरे शहर को दहला दिया था.

योगी उस समय किसी कार्यक्रम में थे, जैसे ही उन्हें सूचना मिली वह गोलघर पहुंच गए और खराब कानून व्यवस्था को लेकर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए. लोगों को हैरानी हो रही थी कि हिन्दुत्व का पोस्टर बॉय कहे जाने वाले योगी एक मुस्लिम व्यापारी के समर्थन में सड़क पर कैसे बैठ सकते हैं? कुछ लोगों ने योगी से पूछा भी, जिस पर योगी ने कहा कि व्यापारी मेरे लिए सिर्फ व्यापारी है और मैं गोरखपुर को 1980 के उस बदनाम दौर की ओर हरगिज नहीं जाने दूंगा.

ये दो घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि तुष्टीकरण किसी का नहीं, सम्मान सबका, यह गोरक्षपीठ की परंपरा रही है. बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार न केवल इस बात को सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं बल्कि विकास योजनाओं सामाजिक समरसता के इस मूल मंत्र को चरितार्थ भी करते हैं.

गिरीश पांडेय बताते है कि विजयदशमी के दिन योगी आदित्यनाथ की अगुआई में मंदिर परिसर से मानसरोवर तक निकलने वाली शोभा यात्रा हर साल इसका जीवंत सबूत बनती है. यकीनन इस बार भी बनेगी. इस दिन गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुआई में गोरखनाथ मंदिर से निकलने वाली शोभायात्रा का मुस्लिम समाज द्वारा हर साल अभिनंदन किया जाता है.

उल्लेखनीय है कि पुराने गोरखपुर के जिस इलाके में गोरखनाथ मंदिर है, वह पूरा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है. जहिदबाद, रसूलपुर और हुमांयुपुर उन मोहल्लों के नाम हैं जिनसे मंदिर लगता है. बावजूद इसके शायद ही कभी स्थानीय स्तर पर तनाव की स्थिति आई हो. उल्टे यही लोग अपनी समस्याओं के हल के लिए आये दिन मंदिर आते रहते हैं.

दरअसल देश की प्रमुख धार्मिक पीठों में शुमार गोरक्षपीठ अपनी स्थापना के समय से ही जाति, पंथ मजहब से परे एक ऐसा केन्द्र रही है जिसके लिए सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता और लोक कल्याण सर्वोपरि रहा है. पूरी दुनिया में हर किसी के कल्याण लिए स्वीकार्य योग का मौजूदा स्वरूप पीठ के संस्थापक गुरु गोरक्षनाथ की ही देन है.

मंदिर के प्रबंधन से किशोरावस्था से जुड़े और अब करीब 75 साल के हो चुके द्वारिका तिवारी बताते हैं कि यहां भेदभाव की गुंजाइश ही नहीं है. मोहम्मद यासीन बताते हैं कि उनके ससुर जग्गन भी यहीं रहते थे. मंदिर में होने वाले हर निर्माण कार्य की जिम्मेदारी उनकी ही होती है. इन मोहल्लों के तमाम लोग मंदिर की रोजमर्रा की व्यवस्था में भी मदद करते हैं.

वह बताते हैं कि मकर संक्रांति से शुरू होकर माह भर 'चलने वाले खिचड़ी मेले में तमाम दुकानें अल्पसंख्यकों की ही होती हैं. गोरखनाथ मंदिर से जुड़े प्रकल्पों में भी जाति, पंथ और मजहब का कोई भेदभाव नहीं है.