Dhul Hijjah : महत्वपूर्ण तिथियाँ और धार्मिक महत्व

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-06-2024
Dhul Hijjah: Important dates and religious significance
Dhul Hijjah: Important dates and religious significance

 

गुलाम कादिर

इस्लामिक कैलेंडर में धुल हिज्जा ( Dhul Hijjah) बारहवाँ और अंतिम महीना है.यह महीना इस्लाम के पवित्र महीनों में से एक है. इस महीने में इस्लाम के पाँचवें स्तंभ हज का आयोजन किया जाता है. इतना ही नहीं, बल्कि इस महीने में बकरीद का त्योहार भी मनाया जाता है.

धुल हिज्जा ( ذُو ٱلْحِجَّة ) का अर्थ है “हज यात्रा का महीना या “हजयात्रा का क्रम.” इस महीने, दुनिया भर के मुसलमान हज करने के लिए मक्का आते हैं. हज यात्री इस महीने की आठवीं, नौवीं और दसवीं तारीख को हज करेंगे. इस महीने के नौवें दिन अराफा का दिन होता है.

इस पवित्र महीने को ईद-उल-अज़हा, " बकरीद का त्यौहार" से भी आशीर्वाद मिला, जो दसवें दिन से शुरू होता है और 13वें दिन सूर्यास्त पर समाप्त होता है.इस्लामिक परंपराओं में, ज़ुल हिज्जा के पहले दस दिन साल के सबसे धन्य दिन होते हैं. मुसलमानों के रूप में, हमें इस महीने अच्छे कर्म करने के लिए कहा जाता है. रसूलल्लाह ﷺ ने एक बार कहा: “ऐसे कोई दिन नहीं हैं, जब अल्लाह को इन दस दिनों से ज़्यादा नेक काम प्रिय हों.” (बुखारी)

ज़ुल हिज्जा की महत्वपूर्ण तिथियाँ

  1. 1 ज़ुल हिज्जा: अली इब्न अबी तालिब (आरए) और फ़ातिमा बिन्त मुहम्मद (आरए) का विवाह (निकाह)
  2. 7 ज़ुल हिज्जा: मुहम्मद अल-बाकिर की शहादत
  3. 8, 9 और 10 ज़ुल हिज्जा: हज के दिन
  4. 8 ज़ुल हिज्जा: हुसैन इब्न अली (आरए) ने मक्का से कर्बला की यात्रा शुरू की
  5. 9 ज़ुल हिज्जा: अराफ़ा का दिन
  6. 9 ज़ुल हिज्जा: कुफ़ा में मुस्लिम इब्न अकील और हानी इब्न उरवाह की शहादत
  7. 10 ज़ुल हिज्जा: ईद अल-अज़हा
  8. 19 ज़ुल हिज्जा: फ़ातिमा बिन्त मुहम्मद (आरए) अली इब्न अबी तालिब (आरए) के घर गईं शादी के बाद
  9. 25 धू हिज्जा: अली इब्न अबी तालिब (आरए) इस्लाम के खलीफा बने - एएच

अगर आप रमज़ान के पवित्र महीने के बाद अल्लाह से और ज़्यादा इनाम पाना चाहते हैं, तो ये ख़ास दस दिन आपके लिए सही विकल्प हैं. ये दस दिन मुसलमानों को एक बहुत बड़ा इनाम पाने, अपने पापों के लिए माफ़ी मांगने और धर्मपरायणता के महत्वपूर्ण स्तरों तक पहुँचने का एक और मौक़ा देते हैं.

इस महीने में दो असाधारण घटनाएँ देखते हैं, जो सभी अल्लाह (SWT) की भक्ति में होती हैं. जैसा कि हम जानते हैं, उनमें से एक ईद अल-अधा है, जो धुल् हिज्जा के दसवें दिन आती है. इस दिन, हममें से हर कोई, जो सक्षम है, कुर्बानी देता है.

कुर्बानी में एक जानवर, आमतौर पर भेड़, मेमना, बकरी, बैल या ऊँट को कुर्बान करना शामिल है. इस अवसर का उद्देश्य सभी को अल्लाह (SWT) की भक्ति में शामिल करना और लोगों की मदद करना है. हममें से जो लोग इस वर्ष हज यात्रा नहीं कर रहे हैं, उन्हें इस समय का उपयोग सामान्य से भी अधिक नेक कार्यों को पूरा करने में करना चाहिए, ताकि अल्लाह से अपार पुरस्कार और आशीर्वाद प्राप्त हो सके.

धुल हिज्जा का महत्व:

इस्लामिक कैलेंडर का अंतिम और पवित्र महीना.
हज और ईद-उल-अज़हा (बकरीद) का आयोजन.

धार्मिक घटनाएँ:

हज: इस्लाम का पाँचवाँ स्तंभ, मक्का में सम्पन्न होता है.
ईद-उल-अज़हा: 10 ज़ुल हिज्जा से शुरू होकर 13 ज़ुल हिज्जा तक मनाया जाता है.
कुर्बानी: जानवर की बलि देना, अल्लाह की भक्ति में.

धुल हिज्जा के पहले दस दिन:

इस्लामिक परंपराओं में सबसे धन्य दिन.
अच्छे कर्म करने के लिए महत्वपूर्ण समय.

धार्मिक आशीर्वाद:

मुसलमानों को नेक कार्य करने और पापों की माफी मांगने का अवसर.
अल्लाह से इनाम और आशीर्वाद पाने का समय.

विशेष कार्यक्रम और आयोजन:

हज यात्रा, अराफा का दिन, कुर्बानी.
धार्मिक समारोहों में भाग लेना और समुदाय की सेवा करना.

धुल हिज्जा की पावनता:

अल्लाह की भक्ति और समर्पण को प्रकट करने का समय.
धार्मिक आस्था और त्याग का महत्व.