पुण्यतिथि विशेष : स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कय्यूम अंसारी कहा करते थे,हिंदू-मुसलमान देश की दो आंखें

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 17-01-2023
पुण्यतिथि विशेष : स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कय्यूम अंसारी कहा करते थे,हिंदू-मुसलमान देश की दो आंखें
पुण्यतिथि विशेष : स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कय्यूम अंसारी कहा करते थे,हिंदू-मुसलमान देश की दो आंखें

 

सेराज अनवर / पटना

अब्दुल कय्यूम अंसारी भले ही हमारे बीच न हों, पर उनकी देश प्रेम की कथाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.जिन्ना के धुर विरोधी अब्दुल कय्यूम अंसारी की आज पुण्यतिथि है.18 जनवरी 1973 को इस महान् स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया था.उनका जन्म 1 जुलाई 190 5 को बिहार के जिला शाहबाद के कस्बा डेहरी अॉन सोन में हुआ था.2005 में भारतीय डाक सेवा द्वारा उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया.

देश आजादी की ओर बढ़ रहा था. साथ ही देश-विभाजन की रूपरेखा भी तैयार की जा रही थी.मेरठ में 1945 में इसे लेकर एक बैठक हुई जिसमें गांधी जी सहित तमाम बड़े नेता शामिल हुए.इनमें क्रांतिकारी अब्दुल कय्यूम अंसारी भी थे.

इस दौरान उन्होंने खुलेआम पाकिस्तान बनने का विरोध किया. अब्दुल कय्यूम अंसारी ने विरोध करते हुए बैठक का बाय काट किया था. वो पहले मुस्लिम नेता थे जिन्होंने मुस्लिम लीग की अलगाववादी नीतियों व पाकिस्तान की मांग का जमकर विरोध किया .

1942में उन्होंने गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया.1947में उन्होंने भारत के बंटवारे का जमकर विरोध किया. मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वह भारत छोड़कर पाकिस्तान न जाए.पुण्यतिथि पर उस अजीम शख््िसयत की देशभक्ति को सलाम करना लाजिमी बनता है.

ansari

भारत-माता की दो आंखें

आजादी की लड़ाई में वह उम्र की शुरूआत में ही कूद पड़े थे. स्कूल से अपना नाम कटवा लिया. स्कूल अंग्रेज हुकूमत का था.कुछ साथी छात्रों के साथ मिलकर अपना विद्यालय बनाया.इसकी वजह से 16साल की उम्र में उन्हें जेल जाना पड़ा.

अब्दुल कय्यूम ने 15साल की उम्र में मौलाना मोहम्मद अली जौहर से प्रेरित हो कर जंग ए आजादी में हिस्सा लिया. 1920में कांग्रेस के सेशन में भाग लिया.1922में जेल गए. अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया.

इसके बाद गांधी जी के आह्वान पर बिहार से असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया.अब्दुल कय्यूम अंसारी ने साइमन कमीशन के भारत आगमन पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि भारत माता की दो आंखें हिंदू और मुस्लिम हैं .इसलिए दोनों आंखें हमेशा एक जैसी रहनी चाहिए. ताकि देश की अखंडता और एकता पर आंच न आए.

मुस्लिम लीग के खिलाफ मोमिन कॉन्फ्रेंस

अब्दुल कय्यूम अंसारी ने मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक राजनीति के विरोध स्वरूप 1937-38 में मोमिन कान्फ्रेंन्स की स्थापना की.जिसने कांग्रेस के साथ देश की आजादी के आंदोलन में महत्वपर्ण भूमिका निभाई. मोमिन काफ्रेंस बना कर ना सिर्फ अपने समाज को प्रतिनिधित्व दिया, मुस्लिम लीग की स्थापना का रोध किया.

’मोमिन कांफ्रेंस’ नाम से अलग सियासी पार्टी बनाई और 1937 और 1946 के चुनाव में मजबूती से हिस्सा लिया.1946 में बिहार प्रोविंशियल असेंबली में मुस्लिम लीग के खिलाफ अब्दुल कय्यूम अंसारी सहित छह मोमिन कांफ्रेंस के उम्मीदवार चुनाव जीते.

श्रीकृष्ण सिंह उर्फ श्री बाबू के नेतृत्व में सरकार बनी तो कय्यूम अंसारी भी कैबिनेट मंत्री बने.भारत आजाद हुआ तो मोमिन कान्फ्रेंस का कांग्रेस में विलय कर दिया,राज्यसभा के सदस्य बने, विधायक भी चुने गए, मंत्री भी बने .

वे17 वर्षों तक बिहार में  मंत्री रहे.बाद में मोमिन कान्फ्रेंस को एक राजनीतिक संस्था के रूप में भंग कर दिया. इसे एक सामाजिक और आर्थिक संगठन बना दिया.उन्होंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मोमिन समुदाय के उत्थान के लिए काम किया .

ansari

अपने आप में एक संगठन

अब्दुल कय्यूम अंसारी एक कुशल पत्रकार, लेखक और कवि भी थे.उर्दू साप्ताहिक “अल-इस्लाह” (सुधार) और एक उर्दू मासिक “मसावात” (समानता) के संपादक थे. जिनके द्वारा उन्होंने सामाजिक सुधार आंदोलन चलाए. उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विषयों का काफी ज्ञान था.

उन्हें राष्ट्रीय एकता, धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है. अब्दुल कय्यूम अंसारी एक व्यक्ति नहीं बल्कि अपने आप में एक संगठन थे. उन्होंने देश की आजादी में महती भूमिका निभाई और अपने लोगों के बीच में आजादी के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करते रहे उनकी कुर्बानी को आज भी इतिहास के पन्नों में देखा जा सकता है.

महान स्वतंत्रता सेनानी व सामाजिक संगठन मोमीन कॉन्फ्रेंस के सूत्रधार अब्दुल कय्यूम अंसारी को सरकार ने तो सम्मान नहीं ही दिया उनके ही संगठन के लोगों ने भी भुला दिया.कांग्रेस नेता गुफरान आजम का गिला है कि अब्दुल कय्यूम अंसारी जन नेता थे . विशेष रूप से वंचित-गरीबों के सबसे करीब थे. उन्हांेने जिन्ना के टू-नेशन थ्युरी का डटकर विरोध किया. नाम पर मात्र एक डाक टिकट भार है.

भारत सरकार द्वारा जारी करना उनके साथ बड़ी नाइंसाफी है.एक कौम फाउंडेशन,बिहार के नेता डॉ.सुल्तान अहमद अंसारी कहते हैं, अब्दुल क्य्यूम अंसारी गंगा-जमुनी तहजीब को कायम करने वाले बड़े नेता थे.उनके नाम से बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना होनी चाहिए.

जेल मंत्री के रूप में शानदार काम

जेल मंत्री के तौर पर उनका काम बहुत शानदार रहा.उनकी कोशिश रही के हर जेल में कैदी के सुधार के लिए स्कूल खोले जाएं. इसमें पढ़ कर सजायाफ्ता कैदी जब वापस बाहर निकले तो उसकी पहचान एक अच्छे शहरी के तौर पर हो.

पहली कोशिश मुजफ्फरपुर जेल में की गई. स्कूल खुला जिसमें सैंकड़ों कैदी ने पढ़ कर अच्छे शहरी बनने का संकल्प लिया.दीगर बात है कि सरकार ने उनकी बेहतरीन योजनाओं पर आगे काम नहीं किया.18 जनवरी 1973 को अब्दुल  कय्यूम अंसारी को खबर मिली के उनके क्षेत्र में नहर का बांध टूट गया और बाढ़ की चपेट में आ कर हजारों लोग बेघर हो गए.

सूचना मिलते ही वह बिना किसी देरी उस इलाके की ओर लपके.ं लोगों को राहत पहुंचाई. रास्ता बहुत खराब था. गाड़ी से उतरकर पैदल ही चलने लगे. फिर थक कर बैठ गए. थोड़ी ही देर में हृदयगति रूक जाने से आज ही के दिन उनका निधन हो गया.