बिहारः मुस्लिम इदारों की बड़ी पहल, एक मंच से दिया एकजुटता का संदेश

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 03-03-2021
बिहारः मुस्लिम इदारों की बड़ी पहल, एक मंच से दिया एकजुटता का संदेश
बिहारः मुस्लिम इदारों की बड़ी पहल, एक मंच से दिया एकजुटता का संदेश

 

सेराज अनवर / पटना
 
बिहार में पहली बार मसलकी और आपसी विवाद दरकिनार कर मुस्लिम इदारे और मजहबी पेशवा एक मंच पर आए और एकता का संदेश दिया. जमाअत ए इस्लामी के दफ्तर में मुस्लिम और सामाजिक मसलों पर बैठक बुलाई गई थी, जिसमें देवबंद मसलक के इमारत ए शरिया से लेकर बरेलवी थाॅट के इदारा ए शरिया के उलेमा मौजूद रहे. 
 
इसके अलावा जमियतुल उलेमा अहले हदीस, मुस्लिम मशावरत, बिहार राब्ता कमेटी और शिया मसलक के मौलाना ने भी शिरकत की. एजेंडा था कि कैसे उम्मत बतौर एक रहते हुए समाज के अंदर दूसरे समूह से बेहतर संबंध स्थापित कर सकते हैं. 
 
बिहार में संगठनों के भीतर एकता का माहौल पूरे देश के लिए नमूना पेश कर सकता है. इस मौके पर जमाअत ए इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘ मुझे लगता है, उम्माह के अंदर इत्तेहाद होना चाहिए.  हमलोग एकता के लिए तात्कालिक समस्या और  रक्षात्मक मुद्दों तक स्वंय को सीमित रखते हैं.बेशक इस एकता का बड़ा महत्व है, लेकिन उम्मत ए मुसलमां का जो स्थान और जिम्मेदारियां हैं, उसका दायित्व है कि हम उससे आगे बढ़ें.
 
दूसरों से बनाएं रिश्ता

अमीर ए जमाअत ने कहा कि सांप्रदायिकता समाधान तात्कालिक विरोध और तुरंत पहल से नहीं होने वाला. इसके लिए हमें लंबा अभियान चलाने की जरूरत है. गांव, शहर,बस्ती में गैरमुस्लिमों से बेहतर रिश्ता स्थापित कर इस्लाम का पैगाम पहुंचाना होगा. उनसे संपर्क करें और इस्लाम का सही संदेश उन तक पहुंचाएं.
 
इनकी गलतफहमी दूर होनी चाहिए. गैर मुस्लिमों के दिलों में जो नफरत पैदा हो गई है उसे  मुहब्बतों से दूर करना होगा. मीडिया से इस्लाम को समझ ने की बजाए मुसलमानों से वो इस्लाम समझें.
 
एजेंडों में न उलझें मुसलमान

अमीर ए जमाअत के गंभीर सुझाव पर सभी संगठनों और उलेमा ने समर्थन जताया. बैठक में राय उभर कर सामने आई कि मुसलमान इस देश का दाता और मानवता की सेवा करने वाला एसेट बनें. हमें  इस महत्व को समझना चाहिए. आइए!इसे नींव बनाएं और अपनी एकता बनाएं.  एकता तात्कालिक और राजनीतिक मुद्दों के लिए अच्छी बात है.
 
लेकिन दूरगामी एजेंडों के साथ चलने वाली कौमों में परिवर्तन आता है.दीर्घकालिक एजेंडा को सामने रख कर जो प्रयास किए जाएं, उसके परिणाम खुशगवार बदलाव लाने वाले होते हंै. हम सिर्फ तात्कालिक मुद्दों में उलझे रहेंगे तो कोई ठोस तब्दीली नहीं आएगी.
jamiyat
 
बैठक में यह रहे मौजूद
 
इस बैठक में इमारत ए शरिया के कार्यकारी महासचिव मौलाना शिब्ली अल कासमी, इदारा ए शरिया के संरक्षक सैयद सनाउल्लाह रिजवी,जमियतुल उलेमा बिहार के महासचिव हुस्न अहमद कादरी, मदरसा शम्सुल होदा के प्राचार्य मौलाना सैयद शाह मशहुद कादरी, जमाअत अहल-ए-हदीस बिहार के नायब अमीर मौलाना खुर्शीद आलम मदनी, अंजुमन खुतबा वो  इमामिया बिहार के महासचिव मौलाना अमानत हुसैन, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत  बिहार के महासचिव डॉ  अनवारुल होदा, बिहार राब्ता कमेटी के सचिव अफजल हुसैन आदि मौजूद रहे.