बच्चे किस उम्र से रोजा रख सकते हैं?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-03-2024
बच्चे किस उम्र से रोजा रख सकते हैं?
बच्चे किस उम्र से रोजा रख सकते हैं?

 

राकेश चौरासिया

रमजान माह के दौरान रोजा रखना आत्म-संयम, आत्म-शुद्धि, और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है. रोजा रखने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होते हैं, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं. रोजा रखने से व्यक्ति अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखता है. रोजा रखने से व्यक्ति अपने शरीर और आत्मा को पापों और बुराइयों से शुद्ध करता है. रोजा रखने से व्यक्ति ईश्वर के प्रति अपनी आस्था और समर्पण व्यक्त करता है. रोजा रखने से व्यक्ति गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति और दयालुता का भाव विकसित करता है. इस्लाम में रोजा रखना एक महत्वपूर्ण इबादत है, लेकिन बच्चों के लिए रोजा रखने की उम्र को लेकर कुछ शर्तें हैं.

इस्लाम की रोशनी में रोजा बच्चे या बच्ची के किशोरावस्था में पहुंचने पर ही रोजा फर्ज होता. पैगंबर मुहम्मद (पीबीयूएच) ने कहा, ‘‘तीन लोगों से कलम उठा लिया गया है. एक, जो अपना दिमाग खो चुका है, जब तक कि वह होश में नहीं आता, एक जो सो रहा है, जब तक कि वह नहीं उठता और एक बच्चे से, जब तक वह किशोरावस्था तक नहीं पहुंच जाता.’’ (हदीस अबू दाऊद द्वारा वर्णित, 4399,  अल-अल्बानी द्वारा सहीह अबी दाऊद में सहीह के रूप में वर्गीकृत)

इस तरह, 7 साल से कम उम्र के बच्चों को रोजा रखने की इजाजत नहीं है. 7 से 12 साल के बच्चों को रोजा रखने की प्रशिक्षण दिया जा सकता है. यदि बच्चा रोजा रखने में सक्षम है और उसे कोई परेशानी नहीं होती है, तो वह रोजा रख सकता है. 12 साल की उम्र के बाद रोजा रखना फर्ज हो जाता है.

हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियां भी हैं जिनमें बच्चों को रोजा नहीं रखना चाहिए:

  • यदि बच्चा बीमार है या उसे कोई स्वास्थ्य समस्या है.
  • यदि बच्चा बहुत कमजोर है या उसे पोषण की कमी है.
  • यदि बच्चा गर्मी या ठंड को सहन नहीं कर सकता है.
  • यदि बच्चा परीक्षा दे रहा है या उसे अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.

बच्चों को रोजा रखने के लिए प्रोत्साहित करते समय, माता-पिता को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • बच्चे को पर्याप्त पानी और पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए.
  • बच्चे को गर्मी और ठंड से बचाना चाहिए.
  • बच्चे को आराम करने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए.
  • बच्चे को धैर्य और ईमानदारी से रोजा रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
  • यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चों को रोजा रखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
  • बच्चों को रोजा रखने के लाभों और नुकसानों के बारे में समझाया जाना चाहिए.
  • बच्चों को रोजा रखने के लिए पुरस्कृत किया जा सकता है.

यह भी ध्यान रखें कि हर बच्चे की क्षमता अलग होती है. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य और क्षमता को ध्यान में रखते हुए रोजा रखने का निर्णय लें.