अमरनाथ गुफा को मेरे दादा ने खोजा थाः गुलाम नबी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 02-07-2022
अमरनाथ गुफा को मेरे दादा ने खोजा थाः गुलाम नबी
अमरनाथ गुफा को मेरे दादा ने खोजा थाः गुलाम नबी

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-जम्मू

दो साल के अंतराल के बाद अमरनाथ यात्रा फिर से शुरू होने पर 95 वर्षीय गुलाम नबी मलिक उस पवित्र गुफा के साथ अपने परिवार के बंधन को याद करते हैं, जिसे उनके परदादा बोटा मलिक ने खोजा था.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहलगाम के बटाकोटे गांव में गुलाम नबी मलिक ने अमरनाथ पवित्र गुफा यात्रा के लिए प्रार्थना की, जो यात्रियों को गुफा मंदिर में दर्शन करने में मदद करते थे.

एक जीवित किंवदंती माने जाने वाले मलिक ने लगभग 60 वर्षों से यात्रा की है. वह गुफा के साथ अपने परिवार के जुड़ाव को याद करते हैं और कैसे इसने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के बंधन को मजबूत किया.

गुफा की खोज 1850 की है, जब एक मुस्लिम चरवाहे बोटा मलिक ने इसके अंदर प्राकृतिक रूप से बने बर्फ के षिवलिंग के साथ इसे पाया था. तब से, मलिक के परिवार ने 2005 तक यात्रा का संचालन किया. बाद में सुरक्षा कारणों से यात्रा प्रबंधन अमरनाथ श्राइन बोर्ड करने लगा.

मलिक ने कहा कि उन्होंने 70 साल पहले पहली बार गुफा का दौरा किया था. वह तीर्थ यात्रा का हिस्सा बनेे और लोगों को गुफा मंदिर में यात्रा और पूजा करने में मदद करने लगे.

वह गुफा मंदिर के साथ परिवार के अलगाव पर अफसोस जताते हैं और इसके लिए राजनीति को जिम्मेदार ठहराते हैं. वृद्ध होने के कारण, मलिक अब कई वर्षों से गुफा में नहीं जा पाए हैं, लेकिन वे अभी भी गुफा में उपयोग किए जाने वाले पूजा मंत्रों का पाठ करते हैं.

यात्रियों के लिए मलिक हमेशा गुफा में पुजारी की तरह थे. उनकी सबसे प्रिय स्मृति में उन्हें 1947 में महाराजा हरि सिंह की पत्नी तारा देवी के साथ गुफा में जाना शामिल है. उन्हें तारा देवी द्वारा एक स्मारिका भी भेंट की गई थी.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पहली बार 70 साल पहले लोगों को गुफा में यात्रा करने में मदद की थी. मैं रानी (तारा देवी) के साथ गया था. हमने वहां पूजा की. रानी ने मुझे एक मजमा दिया, जो खजूर से भरी तांबे की ट्रे है.’’

मलिक परिवार के लिए बोटा मलिक आज भी एक सम्मानित शख्सियत हैं. उन्होंने कहा कि कई यात्री अपनी यात्रा को तब तक अधूरा मानते हैं, जब तक कि वे परिवार के पास नहीं जाते.

हालांकि, यात्रियों के लिए कड़े सुरक्षा नियमों के कारण, अब कोई भी उनसे मिलने नहीं जाता है.

मलिक ने कहा, ‘‘बोटा मलिक की कब्र के ठीक बगल में एक झरना उग आया है और हम सदियों से उसी झरने से पीने का पानी इकट्ठा कर रहे हैं.’’ै

उनके रिश्तेदार मोहम्मद अकरम मलिक ने कहा कि तीर्थयात्री जो तीर्थयात्रा की उत्पत्ति को जानते थे, वे अमरनाथ यात्रा के बारे में अधिक जानने के लिए उनके पास आएंगे. इस बारे में कि कैसे बोटा मलिक ने गुफा की खोज की और यात्रा का संचालन करने के लिए परिवार के योगदान के बारे में.

 

उन्होंने कहा, ‘‘एक बार यात्रियों का एक समूह शेषनाग से यह सुनकर लौटा कि मलिक यहां रह रहे हैं. उन्होंने हमें ढूंढना शुरू किया. उस समय, हम पहलगाम में झोपड़ियों में थे. उन्होंने कहा कि दर्शन करने से पहले उन्हें मलिकों से मिलना था.’’

इस वर्ष, सरकार द्वारा कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को कठिनाई हुई है.

घाटी में पहले से ही सक्रिय सुरक्षा ढांचे के अलावा, अर्धसैनिक बलों की 350 अतिरिक्त कंपनियों को यात्रा की सुरक्षा के लिए लगाया गया है.

मलिक और कई कश्मीरी मानते हैं कि सुरक्षा यात्रा पर भारी नहीं पड़नी चाहिए, क्योंकि यह कश्मीर में समन्वित संस्कृति की लंबी यात्रा का प्रतिनिधित्व करती है.