लुकमान अली बनें युवाओं के आदर्श

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 29-05-2025
Balance of sports and education: Lukman Ali becomes role model for youth
Balance of sports and education: Lukman Ali becomes role model for youth

 

likmanखेल और पढ़ाई—अक्सर ये दो रास्ते एक-दूसरे से टकरा जाते हैं.क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर हों या विराट कोहली, उन्होंने खेल में ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन पढ़ाई से समझौता किया.वहीं, मोहम्मद लुकमान अली इस परंपरा से हटकर एक नई मिसाल बनकर उभरे हैं.उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव मोहरका पट्टी से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाने वाले लुकमान, न सिर्फ एक सफल पहलवान हैं बल्कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मास्टर ऑफ सोशल वर्क के होनहार छात्र भी हैं.

आज वे उन चुनिंदा खिलाड़ियों में हैं, जिनसे युवा यह जानने आते हैं कि पढ़ाई और खेल के बीच संतुलन कैसे साधा जा सकता है.उनके जीवन का हर पहलू प्रेरणा से भरा है.

अमरोहा जिले केमुहारका पट्टी के एक सामान्य परिवार में जन्मे मोहम्मद लुकमान अली बचपन से ही कुश्ती से जुड़े रहे.उनके पिता छज्जो अली रेलवे में कार्यरत थे और खुद भी कुश्ती के शौकीन.

likman

पिता की कहानियों और जीवन के अनुभवों ने लुकमान के मन में कुछ कर दिखाने की आग जलाई.मां जायदा ने उन्हें न सिर्फ दीनी तालीम दी बल्कि नैतिकता और अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया.

lukman

बचपन में गांव के मिट्टी के अखाड़ों से शुरुआत कर लुकमान ने अपनी मेहनत और लगन से छत्रसाल स्टेडियम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान तक का सफर तय किया.2018में उन्हें पहली बड़ी जीत मिली और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

लुकमान का मानना है कि खेल और शिक्षा एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं, यदि उन्हें सही दिशा और समय मिले.

जामिया में पढ़ाई करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना, उनके मजबूत समय प्रबंधन और समर्पण की कहानी कहता है.

हर दिन सुबह 4बजे उठकर अखाड़े में पसीना बहाना, सख्त दिनचर्या और खुद से किया गया वादा—इन्हीं की बदौलत लुकमान ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में न सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि विजय भी पाई.

2022में नंदिनी नगर में आयोजित राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीतकर युवाओं को दिखाया कि कठिन मेहनत का कोई विकल्प नहीं.

likman

2023 में मेडल जीतने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शिक्षकों ने लुकमान को किया सम्मानित

2023 में लुकमान थाईलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए छठे स्थान पर रहे.वहां उन्होंने विश्व स्तरीय पहलवानों के साथ मुकाबला किया.वे कहते हैं, "जब मैंने पहली बार भारत की जर्सी पहनी, तो आंखों में गर्व के आंसू थे." उनका सपना अब ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है.2028ओलंपिक उनका अगला लक्ष्य है.

lik

मास्टर ऑफ सोशल वर्क के छात्र लुकमान समाज के प्रति भी सजग हैं.वे खेल के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं.सफलता के बावजूद वे विनम्र बने हुए हैं.अपने कोच, परिवार और दोस्तों—खासकर बचपन के मित्र आरिफ चौधरी—का आभार जताते हैं, जिनका योगदान उनके सफर में अनमोल रहा.

lukman

मेरठ में आयोजित एक प्रतियोगिता में लिया भाग

लुकमान के अनुसार, दिन की सही योजना से हर क्षेत्र में सफलता संभव है.कठिनाइयों से डरने के बजाय उनका सामना करना ही असली जीत है.कुश्ती में सफल होने के लिए ये दो गुण सबसे अहम हैं. उनमें से एक टीम भावना.

लुकमान आज उन युवा खिलाड़ियों के आदर्श हैं जो खेल और पढ़ाई में संतुलन रखकर कुछ बनना चाहते हैं.लुकमानकी कहानी बताती है कि प्रतिभा के साथ मेहनत, अनुशासन, और सकारात्मक सोच हो, तो कोई भी मुकाम नामुमकिन नहीं.

indi

थाईलैंड चैंपियनशिप में हुआ लुकमान का स्वागत

आज लुकमान खेलो इंडिया कुश्ती चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटे हैं, फिर जुलाई में एशियाई इंडोर चैंपियनशिप, और इसके बाद ओलंपिक का सपना.लुकमान अली न सिर्फ एक पहलवान हैं, बल्कि एक प्रेरणा, पथप्रदर्शक, और भारत का उभरता हुआ सितारा हैं.

प्रस्तुति: अर्सला खान