कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से अप्रैल में ईंधन की मांग घटी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 18-05-2022
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से अप्रैल में ईंधन की मांग घटी
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से अप्रैल में ईंधन की मांग घटी

 

नयी दिल्ली. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के दबाव से देश की ईधन मांग मासिक आधार पर अप्रैल में कम हो गई. एसएंडपी की ग्लोबल कमोडिटी रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर रही तेजी की वजह से घरेलू बाजार में ईंधन की खुदरा कीमतों में भी उछाल रहा. दाम के तेज होने से मार्च की तुलना में अप्रैल में घरेलू ईंधन मांग पर नकारात्मक असर रहा. हालांकि, बाजार विश्लेषकों का कहना है कि मई में यह स्थिति बदल सकती है. 

भारत के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में ईंधन की घरेलू मांग माह दर माह आधार पर चार प्रतिशत घटकर 49 लाख बैरल प्रतिदिन या 1.86 करोड़ टन रह गई. एसएंडपी का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग ने कच्चे तेल की कीमतों में अप्रत्याशित तेजी लाई है. मार्च में पेट्रोल की मांग तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची थी लेकिन अप्रैल में यह माह दर माह आधार पर 3.8 प्रतिशत घटकर 28 लाख टन रह गई. डीजल की मांग अप्रैल में साढ़े छह प्रतिशत घटकर 72 लाख टन रह गई. एलपीजी की मांग में इस दौरान 12.7 प्रतिशत, नैप्था में 4.3 प्रतिशत और जेट ईंधन में 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.

वार्षिक आधार पर हालांकि भारत में कुल ईंधन मांग में 9.6 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई. अप्रैल 2021 की तुलना में गत माह डीजल की मांग में 7.9 प्रतिशत , पेट्रोल में 17.4 प्रतिशत, एलपीजी में 2.4 प्रतिशत, जेट ईंधन में 31.8 प्रतिशत की जबरदस्त तेजी रही.

कोविड-19 की तीसरी लहर के कमजोर पड़ने देश से देश की आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटने लगीं, जिससे जनवरी से अप्रैल 2022 की अवधि के बीच भारत में तेल उत्पादों की मांग साल दर साल आधार पर 4.7 प्रतिशत बढ़कर 7.32 करोड़ टन या 48 लाख बैरल प्रतिदिन रही. इस अवधि में पेट्रोल की मांग पांच प्रतिशत, डीजल की 1.9 प्रतिशत, जेट ईंधन की 12.3 प्रतिशत तथा एलपीजी की 5.4 प्रतिशत बढ़ गई. हालांकि इस अवधि में नेप्था की मांग 6.6 प्रतिशत लुढ़क गई.

एसएंडपी ने वार्षिक आधार पर इस साल देश की तेल उत्पादों की मांग में 2,45,000 बैरल प्रतिदिन की तेजी आने का अनुमान जताया है. हालांकि अगले साल मांग में नरमी आने के संकेत हैं और यह 2023 में 1,95,000 बैरल प्रतिदिन हो सकता है.