Retail inflation in India is at a six-year low, the main reason being the fall in prices of food items
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
देश की आम जनता के लिए राहत भरी खबर है. भारत में खुदरा महंगाई दर (CPI आधारित) जून 2025 में गिरकर 2.10 प्रतिशत पर आ गई है, जो पिछले छह वर्षों का सबसे निचला स्तर है. यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी कमी के कारण हुई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आंकड़े केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं.
जून 2025 में खुदरा महंगाई दर मई 2025 की तुलना में 72 आधार अंकों की गिरावट के साथ दर्ज की गई. इससे पहले इतनी कम साल-दर-साल महंगाई दर जनवरी 2019 में देखी गई थी.
खाद्य महंगाई दर, यानी ऑल इंडिया कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CFPI), जून में (-)1.06 प्रतिशत पर रही. ग्रामीण क्षेत्रों में यह (-)0.92 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में (-)1.22 प्रतिशत रही यानी खाद्य पदार्थों की कीमतों में एक तरह की समग्र गिरावट देखी गई, जो सालाना आधार पर 205 आधार अंकों की भारी गिरावट मानी जा रही है.
इस गिरावट की प्रमुख वजहें सब्जियों, दालों और उनके उत्पादों, मांस-मछली, अनाज, चीनी-मीठाई, दूध और मसालों की कीमतों में आई कमी हैं. इसके साथ-साथ पिछले वर्ष की महंगाई दर के आधार प्रभाव (base effect) ने भी आंकड़ों को और नीचे खींचा है.
महंगाई दर इस समय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय की गई 2-6 प्रतिशत की सहनशील सीमा में बनी हुई है. खुदरा महंगाई अक्टूबर 2024 में इस सीमा को पार कर गई थी, लेकिन तब से यह नियंत्रण में रही है.
भारतीय रिजर्व बैंक लगातार 11 मौकों पर अपनी रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के बाद, फरवरी 2025 में पांच वर्षों में पहली बार 0.50 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई पर काबू मिलने से अब RBI की प्राथमिकता आर्थिक विकास को समर्थन देना बन सकती है.
RBI ने अपने 2025-26 के अनुमान को संशोधित करते हुए अब सालाना महंगाई दर को 3.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है, जो पहले 4 प्रतिशत बताई गई थी.
वहीं थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर जून 2025 में (-)0.13 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि मई में यह 0.39 प्रतिशत थी. इससे पहले, अप्रैल 2023 में भी थोक महंगाई दर नकारात्मक रही थी, और कोविड काल के शुरुआती दिनों, जुलाई 2020 में भी इसी तरह के आंकड़े सामने आए थे.
साल 2023 में लगातार सात महीनों तक थोक महंगाई दर नकारात्मक रही थी. हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि थोड़ी बहुत थोक महंगाई अच्छे संकेत देती है क्योंकि इससे उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहन मिलता है.
वर्तमान में, खुदरा और थोक महंगाई दोनों में गिरावट दिखना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। यह न सिर्फ आम उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात है, बल्कि सरकार और आरबीआई के लिए भी भविष्य की मौद्रिक नीतियों को लेकर एक स्थिर वातावरण तैयार कर सकता है.