आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
उद्योग जगत ने अनुमान जताया है कि भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक दोगुने से भी अधिक होकर 100-110 अरब डॉलर के दायरे में पहुंच जाएगा। रविवार को एक आधिकारिक बयान में यह कहा गया।
उद्योग के अनुमानों का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार 2024-2025 में लगभग 45-50 अरब डॉलर का था, जबकि 2023 में यह 38 अरब डॉलर का था।
बयान के अनुसार, “उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का आकार 2023 में लगभग 38 अरब डॉलर, 2024-2025 में 45-50 अरब डॉलर और 2030 तक 100-110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।”
सेमीकंडक्टर की आवश्यकता, सरकार के प्रयासों और उद्योग की प्रतिक्रिया पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत बयान में कोविड महामारी के दौरान चुनिंदा भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता के कारण विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों, विशेष रूप से वाहन उद्योग के सामने आए संकट का हवाला दिया गया और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
बयान के अनुसार, “वर्तमान में, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका जैसे देश सेमीकंडक्टर उद्योग पर हावी हैं। ताइवान दुनिया के 60 प्रतिशत से अधिक सेमीकंडक्टर का उत्पादन करता है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत सबसे उन्नत सेमीकंडक्टर शामिल हैं।”
बयान में कहा गया, “एक ही क्षेत्र पर इस तरह की निर्भरता ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को महामारी और प्राकृतिक आपदाओं से लेकर भू-राजनीतिक तनावों तक, गंभीर जोखिमों के प्रति उजागर कर दिया है। इस चुनौती को समझते हुए, कई देश अब सुरक्षित और विविध आपूर्ति श्रृंखलाएँ बना रहे हैं।”
अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया ने घरेलू चिप विनिर्माण को समर्थन देने और एक ही क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियां शुरू की हैं।
बयान में कहा गया, “भारत इस वैश्विक बदलाव में एक महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभर रहा है।”
वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक एक लाक करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें भारत का बाजार एक बड़ा हिस्सा होगा।
भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण आपूर्ति शृंखला के तीन प्राथमिक स्तंभों - उपकरण, सामग्री एवं सेवाएं और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरने की क्षमता है।