आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
देश में काम के आधार पर निश्चित अवधि वाली यानी अस्थायी नौकरियों की तादाद बढ़ी है. इस श्रेणी में कर्मचारियों की संख्या पिछले वित्त वर्ष में 9.7 प्रतिशत बढ़ गई। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
अस्थायी कर्मचारियों की भर्ती करने वाली कंपनियों के शीर्ष निकाय 'इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन' (आईएसएफ) ने वित्त वर्ष 2024-25 की रिपोर्ट में कहा कि अल्पकालिक काम या परियोजना के आधार पर अस्थायी अथवा ठेके पर रखे जाने वाले कर्मचारियों की श्रेणी में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
इसके साथ ही मार्च, 2025 तक आईएसएफ के सदस्यों के माध्यम से उपलब्ध करायी गयी नौकरियां करने वाले अस्थायी कार्यबल की संख्या 18 लाख पहुंच गयी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर तनाव और व्यापार युद्ध के बीच सतर्क धारणा के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में उद्योग ने 1.39 लाख नए अस्थायी कर्मचारियों को जोड़ा.
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने कहा, "वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद कंपनियों को कार्यबल से जोड़ने वाला ‘स्टाफिंग’ उद्योग संगठित रोजगार में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बना हुआ है। यह न केवल नौकरी चाहने वालों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर रहा है बल्कि कंपनियों की परिचालन दक्षता बनाये रखने में भी मदद कर रहा है.’’
हालांकि भाटिया ने कहा कि भू-राजनीतिक उथल-पुथल और वैश्विक व्यापार युद्धों से उत्पन्न अतिरिक्त आर्थिक दबाव ने रोजगार की मांग को कुछ धीमा किया है.
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के उपाध्यक्ष मनमीत सिंह ने कहा, "सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भर्ती करने वाले उद्योग ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में तिमाही आधार पर 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। वहीं सालाना आधार पर 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) और सेवा क्षेत्रों में स्थिर परियोजना विस्तार के साथ एफएमसीजी (दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों), ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक और विनिर्माण जैसे उद्योगों से नई मांग आने से इसे बढ़ावा मिला है.