नई दिल्ली
भू-राजनीतिक तनावों के कारण शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद वैश्विक निवेश कंपनी इन्वेस्को ने वर्ष 2026 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाओं को लेकर सतर्क आशावाद जताया है। कंपनी ने इसका श्रेय घरेलू सुधारों में प्रगति, भारत–अमेरिका संबंधों में संभावित सुधार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मौद्रिक ढील की संभावना को दिया है।
इन्वेस्को की 2026 वार्षिक निवेश परिदृश्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दरों में कटौती शुरू होने से घरेलू मांग को सहारा मिलेगा और अगले वर्ष आर्थिक वृद्धि में मामूली तेजी आ सकती है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निकट अवधि में बाजार की धारणा प्रभावित रही है, लेकिन मध्यम अवधि में भारत के आर्थिक बुनियादी तत्व मजबूत बने हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, “भू-राजनीतिक तनावों के बीच इक्विटी बाजार के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद, जारी सुधारों और भारत-अमेरिका संबंधों में संभावित सुधार के चलते हम 2026 को लेकर भारत पर सतर्क रूप से आशावादी हैं।”
इन्वेस्को ने बताया कि वैश्विक चुनौतियों के चलते भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता रही है, लेकिन आर्थिक स्थिरता के संकेत और संरचनात्मक सुधार विकास को सहारा देंगे। मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक ढांचा, बेहतर बैलेंस शीट और अनुकूल नीतिगत माहौल भारत को अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर स्थिति में रखते हैं।
रिपोर्ट में अवसंरचना, विनिर्माण प्रतिस्पर्धा और वित्तीय क्षेत्र की दक्षता बढ़ाने वाले सुधारों को दीर्घकालिक वृद्धि के लिए अहम बताया गया है, हालांकि राजनीतिक कारणों से सुधारों की गति धीरे रहने की संभावना जताई गई है।
मौद्रिक नीति के मोर्चे पर, इन्वेस्को को उम्मीद है कि 2026 में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती से उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही बेहतर भारत–अमेरिका संबंध व्यापार और निवेश के अवसर भी बढ़ा सकते हैं। कुल मिलाकर, इन्वेस्को ने भारत को उभरते बाजारों की वृद्धि का प्रमुख चालक बताया है।






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