लीथियम की खोज में अफगानिस्तान पहुंची चीनी कंपनियां

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
लीथियम की खोज में अफगानिस्तान पहुंची चीनी कंपनियां
लीथियम की खोज में अफगानिस्तान पहुंची चीनी कंपनियां

 

बीजिंग. लगभग खरब डॉलर मूल्य की दुर्लभ पृथ्वी सामग्री का खनन करने के लिए, चीनी प्रतिनिधिमंडलों का एक समूह विशेष वीजा पर अफगानिस्तान पहुंचा है और संभावित लिथियम परियोजनाओं का साइट पर निरीक्षण कर रहा है.

स्टेट मीडिया टैब्लॉइड ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि चीनी कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी के बावजूद, नीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के मामले में अफगानिस्तान में बड़ी अनिश्चितताएं बनी हुई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच चीनी कंपनियों ने विशेष वीजा प्राप्त किया और साइट पर निरीक्षण करने के लिए नवंबर की शुरुआत में अफगानिस्तान पहुंचीं.

समिति के निदेशक यू मिंगहुई ने कहा, ‘वे, चाइनाटाउन पहुंचे हैं और योजना के अनुसार अफगानिस्तान में निरीक्षण कर रहे हैं.’

यू ने जीटी को बताया कि उनका मानना है कि इन कंपनी प्रतिनिधियों को चीनी निवेशकों को जारी किए गए विशेष वीजा का पहला बैच मिला है.

अगस्त में, जापानी अखबार निक्केई एशिया ने बताया था कि काबुल के पतन के बाद चीन खुद को तालिबान का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदार बनाने की स्थिति में है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजिंग की नजर अफगानिस्तान के 1-2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की दुर्लभ सामग्री विशेष रूप से लिथियम पर है.

नाटो के 16वें सुप्रीम एलाइड कमांडर जेम्स स्टावरिडिस ने कहा कि चीन माइक्रोचिप्स से लेकर इलेक्ट्रिक कार बैटरी तक हर चीज के लिए रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखला पर जितना हो सके, उतना नियंत्रण मजबूत करना चाहता है, वे काबुल में प्रधानता चाहते हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान खनिज संपदा के दोहन और तालिबान शासन में भारत की भूमिका को रोकने में चीन के साथ साझेदारी करने की कोशिश करेगा.

19वीं शताब्दी के अधिकांश समय में, रूसी और ब्रिटिश साम्राज्यों ने अफगानिस्तान पर उस समय संघर्ष किया, जिसे महान खेल के रूप में जाना जाता था. भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ने अफगानिस्तान की रणनीतिक स्थिति और दक्षिण एशिया को प्रभावित करने की इसकी क्षमता को मान्यता दी.