नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग तथा अंतरराष्ट्रीय संस्कृताध्ययन समवाय (IASS) के संयुक्त तत्वावधान में “शारदा पाण्डुलिपि सन्दर्भे अभिज्ञानशाकुन्तलम्” विषय पर एक विशिष्ट शैक्षिक एवं शोधपरक व्याख्यान का आयोजन मीर तकी मीर सभागार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली में भौतिक एवं आभासी दोनों माध्यमों से किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, जामिया तराना और मंगलाचरण से हुआ। इसके पश्चात अतिथियों का स्वागत पौधा, प्रतीकचिह्न एवं उपवस्त्र भेंटकर किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रो. मो. महताब आलम रिज़वी उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. इक्तिदार मोहम्मद खान (संकायाध्यक्ष, मानविकी एवं भाषासंकाय) तथा संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. जयप्रकाश नारायण मंच पर विराजमान थे। सारस्वत अतिथि के रूप में पेरिस स्थित IASS के सचिव प्रो. मैक्कॉमस टायलर की उपस्थिति ने कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय गरिमा प्रदान की।
मुख्य वक्ता प्रो. वसंत के. एम. भट्ट (पूर्व विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय) ने अपने व्याख्यान में प्राचीन पाण्डुलिपि परंपरा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए अभिज्ञानशाकुन्तलम् की विविध लिपियों—कश्मीरी शारदा, मैथिली, बंगाली, दक्षिणी और देवनागरी—की प्रतियों का गहन विवेचन प्रस्तुत किया तथा उनमें समय के साथ आए पाठान्तर भेदों पर चर्चा की।
प्रो. इक्तिदार मोहम्मद खान ने संस्कृत एवं पाण्डुलिपि परंपरा के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. मो. महताब आलम रिज़वी ने संस्कृत के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को अनुसंधान में नई दृष्टि अपनाने का आह्वान किया। कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ ने संस्कृत को विश्व भाषाओं का स्रोत बताते हुए इसकी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक भूमिका पर विशेष जोर दिया और फारसी भाषा में अभिज्ञानशाकुन्तलम् के अनुवाद का विवेचन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. धनंजय मणि त्रिपाठी ने किया, जबकि अंत में डॉ. संगीता शर्मा ने आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगान के साथ आयोजन संपन्न हुआ।
इस अवसर पर जामिया के विभिन्न संकायों के शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से आए प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे। संपूर्ण आयोजन ने संस्कृत भाषा, साहित्य एवं पाण्डुलिपि परंपरा की महत्ता को पुनः रेखांकित किया और प्रतिभागियों को एक समृद्ध शैक्षिक एवं सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया।